मिथिला : : उत्पत्ति एवं नाम
एहि भूमि हेतु प्रयुक्त ‘विदेह’ तथा ‘मिथिला’ नामक उत्पत्ति विशुद्धत: पौराणिक अछि। जूलियस एग्लिंगक अनुसार प्राचीनकाल में ई भू-भाग आर्यलोकनिक निवासस्थल अतिपूर्व में छल। कहल जाईत अछि जे उक्त प्रदेश अपन नाम सरस्वती तीरसँ आगत राजा विदेघ माथव अथवा विदेह माधव सँ पओलक। शतपथ ब्राह्मणक अनुसार विदेघ माथव अपन पुरोहित गौतम रहुगणक संग सरस्वतीक तटसँ सदानीराक (गण्डकीक) तटपर आबि सर्वप्रथम अग्निकेँ प्रज्वल्लित क’ एहि भूमिकेँ पवित्र कयलनि। ई सत्य जे माथवक आगमनक पश्चात अनेक ब्राह्मण एतय अयलाह। फलत: एहि भूमि पर कृषि प्रारंभ भेल तथा यज्ञ द्वारा अग्निकेँ सन्तृप्त कयल गेल। महाकाव्य तथा पुराणसभक वंशावलीमे द्वितीय राजाक रूपमे परिगणित मिथि वैदेह माथव विदेघक परिलक्षक थिक।
पौराणिक वंशावलीक अनुसार अयोध्याधिपति मनुक पुत्र निमि एहि यज्ञ-भूमिमे अयलाह। हुनकर पुत्र मिथि अपन नामपर मिथिला नामक राज्यक स्थापना कयलनि। नगर निर्माणक क्षमता रखबाक कारणेँ ओ जनक नाम सँ प्रख्यात भेलाह। ईहो कहल जाइछ जे मन्थनक बाद उत्पन्न होयबाक फलस्वरूप हुनक नाम मिथि राखल गेलनि। असामान्य जन्मक कारणेँ ओ जनक कहओलनि तथा पिता अशरीरी रहबाक कारणेँ विदेह। एहि तरहेँ हुनक नामक आधारपर एहि प्रदेशक नाम मिथिला पड़ल।