‘मिथिला राज्य आँदोलन’ के पुनः प्रारंभ स्व. पं श्री ताराकंत झा जीक विचार स कय रहल छी…
मिथिला प्राचीन कालहिसँ शिक्षित, सुसंस्कृत एवं शांतिप्रिय क्षेत्र रहल अछि | एहिठामक विद्वान लोकनि अपन अद्वितीय प्रतिभा सँ सदैव देश के उद्भाषित करैत रहलाह आ गृहस्थाश्रम में रहि न्याय, दर्शन, मीमांसा आदिक प्रवर्तन, टीका भाष्यक रचना, चिन्तन, मनन एवं उद्बोधन करैत रहलाह | हिनका लोकनिक शिक्षा-दीक्षा, जनक सदृश चिन्तक दार्शनिक राजाक राज्य में एहिठामक लोक सर्वदा शांतिमय जीवन व्यतीत करैत रहल | स्वतंत्रता आँदोलन में सेहो एहिठामक लोक अपन कर्त्तव्यक निर्वहन करैत सक्रिय रूप सँ भाग लेलाह | मुदा स्वतंत्रता प्राप्तिक बाद एहि इलाकाक बरोबरि उपेक्षा होबय लागल |
सभसँ दुखद स्थिति अछि जे ६७ वर्षक पैघ अन्तरालक बादो एखन धरि एहि इलाका में सम्यक रूपें यातायात, पटौनी, विद्युत एवं रोजगार उपलब्ध करयबाक हेतु उद्योग-धंधाक विकास नहि भेल अछि | झंझारपुर-लौकहा आर किछु गिनल-चुनल जगह छोड़ि क एकोटा रेलमार्ग नहि विकसित कयल गेल अछि | प्रत्येक वर्ष प्रलयंकारी बाढ़ि आ रौदीक कारणे एहिठामक लोक दरिद्र भेल जा रहल अछि | मुदा सत्ताधारी दल चाही ओ केन्द्र हो वा राज्य, जे एहि इलाकाक वोट स विजयी भ गद्दी सम्हारैत अछि ओकरा एहि क्षेत्रक विकास लेल एको पाइक चिन्ता नहि होइत छैक | जें कि एहि क्षेत्रक लोक शांतिप्रय अछि तेँ आई धरि एकर विरोध नहि कयलक आ नोकरीक खोज में लाखोंक लाख संख्या में पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र दिस पलायन कय रहल अछि |
ई बात नहि जे मिथिला में विकासक संभावना नहि अछि | मिथिला में जतेक जल अछि, देश में अन्यत्र दुर्लभ छैक | एहिठामक भूमि अत्यधिक उर्वर अछि जहि में खाद्यान्न सँ लय क फल-फूलक खेतीक अपार संभावना अछि|
मात्र प्रयोजन अछि बाढ़ि स आलय जलक सम्यक प्रबंधन जहिसँ कि पटौनीक समुचित व्यवस्था आ बिजलीक प्रचुर उत्पादन कयल जा सकय | जँ मात्र जल-प्रबंधन समुचित रूप सँ कयल जाय आ नदी, चर-चाँचर पोखरिकँ उड़ाहि कय जलक अक्षय भंडार के सुरक्षित बनयबाक व्यवस्था कयल जाए तँ ई क्षेत्र पुनः अपन पुरना दिन के पाबि सकैत अछि |
मिथिलाक दुःस्थिति कियैक अछि, कियैक सत्ताधारी वर्ग एहिठामक लोकक शोषण करैत अछि, कोना एहिठामसँ प्रतिभाक पलायन रोकल जा सकत, कोना एहिठामक यातायातक व्यवस्था केँ सुचारू कयल जा सकत, कोना खेती-बाड़ीक स्थिति के सुदृढ़ कयल जा सकैत अछि, आ कोना नव उद्योग-धंधा बैसाकय एहिठामक लोक के रोजगार उपलब्ध कराओल जा सकत, कोना एहि इलाका के बाढ़क विभीषिकासँ बचाओल जा सकत आ लोकक सामान्य व्यथा की छैक से जनबाक उद्देश्य सँ २५ मई १९९९५ ई. सँ मिथिलाक एक हजार गामक पदयात्रा कयने रही आ धीरे-धीरे लोक सब सँ सम्पर्क कयने रही | एहि क्रम में जे दृश्य हमरा सोझा आयल तहिँस स्पष्ट भ गेल जे सत्तारूढ़ राजनीतिक दल सभ मिथिलाक सोझमतिया लोककेँ ठकै मात्र अछि हृदय स लोकक समस्या दूर करबाक प्रयास आ क्षेत्रक विकास नहि करय चाहैत अछि | तैं एहि क्षेत्र के उपेक्षित राखल गेल अछि |
मुदा आब एहि इलाकाक लोक में जागरुकता आयल अछि, लोक अपन अधिकारक मोल बुझय लागल अछि आ अपन विपन्नता आ क्षेत्रक विकास केना होयत ताहि लेल संघर्ष करबा लेल तैयार अछि | उपेक्षा आ अपमानक घोंट पिबैत-पिबैत आब लोकक मोन माहुर भ गेल छैक | सब बुझय लागल अछि जे जावत प्राचीन काल जकाँ मिथिला के अपन फराक प्राँत नहि भेटतैक ताबत एहि क्षेत्र में विकासक लहर नहि आबि सकत | एहि सब बिन्दू के ध्यान में रखैत तीन टा नव राज्यक गठनसँ संबंधित विधेयक जखन संसद सँ पारित भ गेल तखन हम ४ अगस्त २००० ई. फराक मिथिला राज्यक माँग कयलउ आ तहियासँ एहि दिशा में जन जागरण द्वारा सरकार पर दबाब देबा लेल संघर्षरत छी |
मिथिला राज्य अभियानक तत्वावधान में फराक मिथिला राज्य होअय तहि में सभ वर्गक लोकक सहयोग व्यापक स्तर पर जेना भेट रहल अछि तहिसँ हम बहुत बेसी आशान्वित छी मुदा किछु गोटे एकरा भाषा आ जातिक आधार पर कलंकित करबाक प्रयास में लागल छथि तँ किछु गोटे मात्र विकास होयक फराक राज्य नहि बनय से कुतर्क कय रहल छथि | एगिठाम बुझबाक बात ई अछि जे जहि आधार पर हालहि में तीन टा नव राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, आ उत्तराँचल गठित भेल अछि ताहि अपेक्षा मिथिलाक की स्थिति अछि ताहि पर विचार कयल जाय | मात्र मुड़कट्टी हिसाबें देखल जाए तँ गरीबीक रेखादर, औसत आमदनी, जनसंख्या, लोकसभा-विधानसभा क्षेत्र, विकास दर आ जिला आदिकें देखला सँ मिथिला क्षेत्र नव राज्यक गठन लेल सबसँ पैघ दावेदार अछि मुदा स्वार्थपूर्ण राजनीति अपन गुड़किल्ली देखबैत मिथिला सन विपन्नआ पछुआयल इलाकाकेँ राज्यक दर्जा नहि देलक |
नव राज्यक रूप में मिथिलाक उदय होअय ताहि हेतु शंख फूकल जा चुकल अछि| विदेहसुता जानकीक ई क्षेत्र अपन उपेक्षा आ अपमान सँ मुक्ति लेल, दरिद्रता एवं विपन्नता दूर करबा लेल, विकास गति के तेज करबा लेल, देशक सुरक्षा आ अखंडता केँ अक्षुण्ण रखबा लेल, रौदी-दाही सँ त्राण पयबा लेल आ अपन प्राचीन गरिमा कें प्राप्त करबा लेल फराक मिथिला प्राँतक मांग कय रहल अछि | ई आँदोलन जातीय नहिं अछि, भाषायी नहिं अछि, साम्प्रदायिक नहिं अछि, अपितु मिथिलाक सभ वर्गक हुतसाधक अछि, शुभचिंतक अछि | अतएव अपनेलोकनिक सँ निवेदन अछि जे मिथिलाक दर्द बूझी, गुनी आ इ पढि एहि आँन्दोलन में सहयोग दी आर अपन विचार सँ अवगत कराबी |
स्व. पं. श्री ताराकाँत झा
१८ फरवरी २००१