बाबा भूइया
(तिरहुत केर लोक देवता)
तिरहुत में सब जातीक अनेक लोक देवताक पुजा होएत छैक , ताही मे एक गोट भूइया बाबाके पूजा सेहो होयत छैक्, हिनक काल 14 शताब्दी बताएल गेल अछि, पूजा में मुख्य रूपसँ तीन गोटे केँ पूजा होएत अछी बाबा बसावन , बाबा बखतौर, माँ गहिल के!
बाबा बसावन वैशाली जिलाके बसौली लंगा के रहथिन हिन्कर वास्तविक नाम बसावन खिरहर रहैन्ह आऽ बाबा बखतौर तिरहुत के उत्तर अङ्ग कोनो गढ़ीया रसलपुर के रहथिन हिनकर नाम आंसिक बखतौर रहैन्ह आ बाबुजिके नाम पूरन राउत रहैन्ह माँ कोइला छलखीन्न!
ताही युग में नारी महथि डेहुरी दरबार के राजा ”दलेल सिंह” रहैन्ह जे अत्यंत क्रुर आऽ निर्दय रहइ जे समाज केर लोक सब पर बड़ अत्याचार करैत छलइ,राजा दलेल सिंह एक लाख मुश्हर जातिक लोक सबके हत्या करेबाक निश्चय कएले रहइ , बाबा भुइयां राजा दलेल सिंह के प्रकोप से सगर समाज के रक्षा कएले रहथि आऽ दलेल से युद्घ करी के 52 कोस के गोरीया वन पर विजय प्राप्त कयले रहथिन एवम समाज के शोषण से मूक्त करयलनी!
एही पूजा में मनरिया द्वारा कहल गेल कथा अनुसार माता कोईला विवाह समय अप्पन खोइछा में कुलदेवी””गहिल ”
के लय के अप्पन सासुराल आएल रहथि जाहि कारणे हुंनक भाई ”बदलसिंह” क्रोध मे रहथि!
मामा बदल सिंह अप्पन कुल देवी में मनाबे लेल अप्पन घर में अप्पन नाम सँ पूजा कएले रहथिन, सगरो गढ़िया में न्योत हकार दय देलखिन्ह मुदा न्योत अप्पन बहिन घर नहि पठओलनि, जखन बाबा बखतौर अप्पन खैरा (भैस/महिष) के बोरीया वन में चिक्नी घाट पर चरबैत रहथिन तखन हुनका कान मे पड़ी गेल मानर के अनुराग जे मामा बदल सिंह नरहर नदी पार डिह सत्औरा में कराबैत रहलनी!
“बाबा बखतौर माए कोइला के कहलनजे हम पूजा देखे जाएब हमरा चद्दर लाठी दे , हुनक माय मना देलखिन्ह जे बउआ तु बिनु न्योत & हकार के पूजा देखे नय जा तोरा मान सम्मान नय होतौ , बाबा बखतौर जिद्द् पर आ गेलखिंह जे हम पूजा देखे जय्बे करब तखनि माई कोईला हुनका चद्दर के खुट के पान आऽ किछ खाय लेल समाग्री बान्ह देलखिन्ह जे तु पूजा के कोनो प्रसाद नइ खईअह”
जखन बाबा पूजा देखे अप्पन मानिहाल गेलखिन वाहि ठाम हुन्कर अपमान कएल गेल बाबा बखतौर पूजा भङ् करी बोरिया वन घुरी चली अलखिन्न तखने बदल सिंह & दलेल सिंह सर्यंत्र करी तांत्रिक गुण से तैयार शेला बाघ & लुलिया बाघिन से हुन्कर हत्या करवा देलखिन्ह! किएक त सामान्य कोनो बाघ & बाघिन से हुनकर हत्या सम्भब नय रहइ हुनका असगरे 7 भैसा के शक्ति रहइ, हुन्कर मृत्यू होईते हुनकर कनिया हिरा मोती के संदेश प्राप्त भ् गेल रहैन्ह किएक त हीरा मोति अपने एक गोट सत्वर्ती स्त्री रहथि
हुनका लोक देवताक ख्याति प्राप्त भेल आ सब जाति में मान सम्मान भेटल , भुइया बाबा समाज सुधारक सेहो रहथिन एवं पशु रक्षक सेहो रहथि हिनक कथा के रस मात्र मनारिया द्वारा गायल गेल में हि भेटत जकर कोनो परतर नहीं।
अभिषेक कुमार राय
कल्याणपुर, राजापाकर,
वैशाली (मिथिला)