मधुबनी को शास्त्रीय सगीत की विरासत बनारस घराने से मिली। करीब तीन सौ वर्ष पूर्व बनारस घराने के मिश्र गायक मधुबनी आए एवं इसे घरानेदार शैली हस्तांतरण किया। बाबू #चन्द्रधारी सिंह नें इन्हे अपने दरबार में राजकीय सम्मान दिया। मिश्र घराने के पं. अनंतलाल मिश्र के शिष्य-पुत्र प. दिनेश मिश्र जगन्नाथपुर ड्योढी में आकर बस गये। इन्होने कई रागों का सृजन किया और #खयाल गायकी में सिद्धि प्राप्त की।
उस्ताद शिवनारायण महतो ने #तबला के कई तालों को सृजित कर मधुबनी का शान बढाया।
पं. गोवर्धन झा श्रीनगर राजदरवार में #सितारवादक रहे।
वैसे यहाँ नान्यदेव काल में ही “लोक राग” का विकास हो चुका था यह शारंगधरदेव के “संगीत रत्नाकर” से भी स्पष्ट होता है। मिथिला की अद्भुत् संगीत साधना ने इस प्रदेश को #विद्यापति, #उमापति, #गोविन्द दास, आदि विभूतियाँ दी।
भारतीय संस्कृति को मैथिल संस्कृति की सबसे बडी देन “#किर्तनिया-सम्प्रदाय” है।
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