मिथिला में प्रारंभ सँ कृषि के प्रधानता रहल अछि एहिलेल कृषि आधारित उद्योग-धंधाक प्रचलन रहल अछि। अंगेजक समय में ई बनल छल आ एहि समय में एतय नील, चीनी, जूट, चावल, आ तेल आदि के उद्योगक विकास भेल। मिथिला के सबसँ प्रमुख नकदी फसल नील छल जहिसँ एतय के लोक बहुत लाभान्वित भेलथि कियैकि एहि क्षेत्र में ई एकटा प्रमुख उद्योगक रूप में विकसित भेल छल। 1810 ई. में तिरहुत के कलक्टर एहि उद्योग सँ संबंधित अपन प्रतिवेदन में कहने छथि कि तिरहुत सँ प्रतिवर्ष कम सँ कम 10000 माउण्ड नील कलकत्ता पठाओल जाईत छल जतय सँ ओकरा यूरोप में निर्यात कयल जाईत छल। लगभग 30 सँ 50 हजार लोकक परिवार एहि सँ चलैत छल।
लगभग सब कारखाना सँ 25-30हजार नकद मजदूर वर्ग आ कृषक लोकनि पर खर्च होईत छल। कलक्टर के अनुसार तिरहुतक नील स्वामी प्रतिवर्ष 6 सँ 7 लाख रुपया अपन कश्तकार सबमें बाँटय छलाह। तिरहुत सरकार द्वारा एहि उद्योग के मदद देल जाईत छल जहिसँ 1874 ई. में नील उद्योग के लगभग 126 फैक्ट्री मिथिला में चलि रहल छल आ लगभग एक लाख एकड़ भूमि में नीलक उत्पादन होईत छल। ओहि समय देश के सबसँ पैघ नीलक फैक्ट्री मधुबनीक पंडौल में छल जकर भौगोलिक विस्तार लगभग 300 वर्ग मील छल, आगाक समय में एकर पतन भय गेल आ ओ’ मैली के अनुसार अंतिम बंदोबस्ती के समय में 52136 एकड़ वा पूर्ण उपजाऊ जमीन के मात्र 3% भाग में नीलक उत्पादन होईत छल, जखन कि एहि समय 28 मुख्य मिल आ 36 शाखा कार्यरत छल। 1904 ई. में एकर संख्या घटिकय 24 भय गेल आ उत्पादन भूमि में सेहो कमी आयल। 1911 ई. तक अबैत नील के फैक्ट्री क संख्या 24 छल जहिमे 9605 पुरुष आ 721 महिला के रोजगार प्राप्त छल।
मिथिला मिरर के ललित नारायण झा के रिपोर्ट सँ वर्तमान में मिथिलाक चीनी मिल के दुर्दशा देखल जा सकैत अछि :
बीसम सदी में नीलक उद्योग बंद भेल त ओहि स्थान पर चीनी उद्योग के विकास तेजी सँ पकड़लक। 1895-96ई. में दरभंगा जिला में 32 टा रिफाइनरी छल जतय 43000 माउण्ड चीनी के उत्पादन होईत छल। धीरे-धीरे परिस्थिति आर सुधरल आ 1910-11 ई. में दरभंगा में पाँच टा चीनी कारखाना काज करय लागल जहिमे हजारों लोक के प्रत्यक्ष रोजगार भेटल।
आगा एहिमें एतेक वृद्धि भेल जे 1950ई. तक एहि क्षेत्र में 17 चीनी मिल कार्यरत छल जहिमें 18000 सँ बेसी लोक कार्यरत छलाह। एहि समय जूटक उद्योगक विकास सेहो भेल छल आ तीन जूट मिल काज करैत छल – एकटा मुक्तापुर में आ दू टा कटिहार में, एहिमे करीब 27000 सँ बेसी लोक कार्यरत छलाह। एहि के अलावा पूर्णियाँ जिला में 28 छोट-छोट ईकाई छल जहिमें 643 लोक के रोजगार प्राप्त छल।
एहि समय में मिथिला के पैघ भू-भाग पर जूटक पैदावार होईत छल आ एहि तरहेँ ईख आ जूटक खेती सँ एतय के किसान खुशहाल छलथि।
मिथिला में चावल आ तेलक उद्योग सेहो विकसित छल ।
चावल उत्पादन के मुख्य केन्द्र दरभंगा, जयनगर, पुपरी, सीतामढ़ी, बैरगनिया, रक्सौल, नरकटियागंज आदि छल। केवल पुपरी में पाँच टा राईस मिल छल। एतय तम्बाकू सिगरेट उद्योग सेहो बढ़ल छल। 1911 ई. में मिथिला में दू टा तम्बाकू कारखाना छल जहिमें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप सँ 1000 सँ बेसी लोक कार्यरत छलाह। समस्तीपुर में बीड़ी उद्योग में 400 मजदूर काज करैत छल। बाकी कुटीर उद्योगक सेहो भरमार रहल छल जहिमें शीशा, चूड़ी, ईंट, खपड़ा, तलवार, चाकू, सिंदूर, बिस्कुट, दुग्ध-उत्पाद, गुड़, हस्तकरघा, बाँस सँ बनल समान सब, पान, नाव, धातु, कपड़ा, बुनाई, रंगाई, चित्रकारी, जूटक सामान, चटाई कंबल, काष्ठकर्म, चर्म-उद्योग, मधुमक्खी पालन, मधु उद्योग आदि प्रमुख छल। कागज उद्योग सेहो एतय परंपरागत रूप सँ चलि रहल छल जेकर मुख्य केन्द्र दरभंगा आ पूर्णियाँ छल।
एहि तरहें प्राचीन कालसँ स्वतंत्रता प्राप्ति तक मिथिला आर्थिक रूप सँ एकटा समुन्नत राज्य छल जतय विविध प्रकारक उद्योगक सतत विकास होईत रहल।
मिथिला में चीनी उद्योग बहुत उन्नत छल। तकनीक के बेसी सँ बेसी व्यवहार सँ उन्नत खेती सँ लय क चीनी उत्पादन में मिथिला प्रथम छल देश में।
महारानी कल्याणी फाऊंडेशन के डा. चेतकर झा कहय छथि जे लोहट चीनी मिल के एक साल के मुनाफा सँ सकरी चीनी मिल तैयार भेल छल। राज दरभंगा के उद्योगक तरीका बहुत व्यवहारिक आ उन्नत छल। एकबेर के तैयारी के बाद ओ उद्योग अपनहि आगाक लेल रस्ता बनबैत छल। डॉ. झा कहय छथि कि पंडौल में एशिया के सबसँ पैघ आ तकनीकी रूप सँ उन्नत गन्नाक के अनुसंधान केन्द्र छल आ 600 एकड़ में राज दरभंगा स्वयं गन्नाक खेती करबैत छलाह ताकि बाढ़ि-रौदी-दाही के कारण जँ किसान के फसल नुकसानो होई त चीनीमिल के सुचारू रूप सँ चलबा में कोनो समस्या नहि होई।
। जबरदस्ती फायदा में चलैत मिल के सरकारीकरण कय सबचीज बर्बाद कय देल गेल आ समस्त जमीन सब लूटि लेल गेल।
लोहट आ सकरी मिल के चलैत समय में अपन आँखि सँ देखनिहार वरिष्ठ समाजसेवी प्रफुल्ल चन्द्र झा एखनुका समय के ओहि समय सँ तुलना करैत कहैत छथि जे ओहि जमाना में ई पूरा ईलाका बिजली सँ चमचमाईत रहय छल। दरभंगा महाराज के तरफ सँ आसपासक बिजली नि:शुल्क छल। राजदरभंगाक कर्मचारी कहियो रिटायर नहि होईत छल। काजक उम्र खतम भेलाक बादो आजीवन राज दरभंगाक जिम्मेदारी रहैत छल।
65 सालक वृद्ध डबडबाईत आँखि सँ कहैत छथि कि फैक्ट्री में घुसबाक लेल कुसियार सँ भरल बैलगाड़ी के लाईन 3-4 किलोमीटर के होईत छल। आसपास के जे सबसँ गरीब लोक होईत छलथि ओ बरद सबके गोबर उठाकय गोरहा-चिपड़ी बेचि अपन जीवन-यापन नीक सँ कय लैत छलथि। आब ने ओ दिन रहल अछि आ ने ओ दोबारा देखि सकब ओकर आस बाँचल अछि।
मुदा स्वतंत्रताक पश्चात गलत सरकारी नीति आ सरकारक मिथिलाक प्रति हीन भावना के चलते क्रमश: एतय के अर्थव्यवस्था पतनोन्मुख होईत चलि गेल। पहिले उद्योग-धंधा, तहन खेती आ अन्य छोट काज-धंधा सबटा चौपट भय गेल जहिसँ किसान आ मजदूर खेतीबाड़ी त्याग कय क बेरोजगार बनि भटकय लगलथि आ एहन समय आओल जे जीवन-यापन के लेल लोक एहिठाम सँ पलायन करय लगलाह। एहिठामक श्रमिक के दम पर आन प्रदेश विकसित होबैत गेल आ हमसब मजदूरक फैक्ट्री बनि गेलौं।
आजुक समय में जहन एतय के मजदूर लोकनि के आन ठाम प्रताड़ित कयल जाई छन्हि त एतय हुनक मातृभूमि द्रवित होईत कनैत छथि अपन दुर्दशा पर।
एहि बदहाली आ मजबूरी पर कनैत आई लोक सोचय छथि जे एकर की उपाय?
जँ आजादी के समय मिथिला के बिहार के उपनिवेश नहि बनाओल गेल रहति आ पृथक राज्यक दर्जा भेटल रहैत त स्थिति किछु आर रहैत।
मिथिला में एहि बदहाली सँ निकलबा लेल, विकास के धारा बहेबाक लेल, पलायनक महामारी के एहि चेन के तोड़बाक लेल एकमात्र उपाय अछि – पृथक मिथिला राज्य।
स्रोत : डा. शिव कुमार मिश्र द्वारा मिथिला राज्य अभियान हेतु लिखित पुस्तक “मिथिला राज्य : एक एतिहासिक तथ्य” के अंश से………