गरही रक्तमा‌ला स्थल‌के इतिहास जानबाक खगौट :: लालदेव कामत

Image

मिथिलांचलक प्रसिद्ध फुलपराग जे आब फुलपरास अनुमंडलधरि बनि गेल अछि: के अंतर्गत घोघरडीहा अंचल सँ 5 किमी० पश्चिम भाग राजा फिरोजसाहक गढ़ किवंदतीमे चर्चित अछि,जे आब 1899 केर कन्सटेबल सर्वे मेँ पिरोजगढ़ नामसँ जानल जाईछ, के समकालीन एक रियासत केवटना गामक गरही रक्तमाला स्थानमे रहल होयत। अखनो एहि लोकदेवता, रक्तमालाक पूजामे ग्रामवासी डिहवारक घोड़ा साले साल चढ़बैत छैक। एहि पवित्र स्थानक देखरेख स्व०महादेव मुखिया पछिला 5 सालधरि करैत रहलाह। एहि भीण्डाक पूर्वोत्तर कोनामे हुनक समाधि बनल छैक। ऊँचगर टिलापर सयवर्षक दूगाछ उत्तरसँ बड़ आ दछिनसँ सटले पीपरक गाछ अवस्थित छैक जकर जड़ियेसँ एहि दू साल में लोक चिकैन माँटि खोखरिके ल जाइत गेल।एहिसँ सबुटा शिर झकझक देखार भेल छैक।जौं एहि पंचायतक जनप्रतिनिधि पक्का चबुतरा बनबैत माँटि भड़क काज कए एहिक संरक्षण कए सकता तँ बिहारिमे उलटैसँ बाँचि जायत। पर्यावरणके शुद्ध रखैबाला ई द्वि पुरानगाछके धारासाई होयसँ बचेबाक काज होयबाक चाहि। ई मांग सेवानिवृत शिक्षक मैनेजर यादव जीक छन्हि। एहि राजप्रसादक जनतव उत्खन्न सँ संभव होयत। एतुके राजाक तीनटा पोखरि हुनका दखल कब्जामे पहिलेसँ आबि रहल छैक। एहिस्थानक पछिम 10 एकर नीजी भूखण्डमे सेहो काश्तकारि करैत छथि। एहि स्थानक कायाकल्प लेल पुरातात्विक विभागक अफसर एक-दू बेर पूर्वमे आयल रहैक। एतय पुराना ज़मानाक पैघ पजेबा सब सेहो छिरियाल छलैक जे मल्लाह टोलाक लोक अपन पुश्तैनी निशानी बुझि पूजा करक उद्देश्य सँ घर ल गेल। 1934 ई० केर बड़का भूमकममे द्वारगेटक दूनू पाया जोड़ल सेहो उपरल रहैक। एहि लुप्त होइत खण्डहर पर सब साल द्वारम गामसँ परम्परागत रुपे लोक डाली लाबि चढ़बैत छैक।

‌ पूर्वराजाक सिंहद्वार द्वारम गाम लग बनल हेबाक चाहियेक जे विशद पड़तालक विषय थीक। एहि क्षेत्रक उत्कर्ष बढ़ाकए पर्यटक केर आबाजाही लेल आकर्षणक केन्द्र बनावल जयबाक आ उद्धारकर्ताक बाट तकैत अछि गरही रक्तमाला मायक स्थान।

Imageलालदेव कामत
स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *