इतिहाससँ – यौगिक सूक्ष्म व्यायाम :: स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी
यौगिक विधि सँ सूक्ष्म शरीरक आयाम (नियंत्रण) अर्थात सूक्ष्म शरीर पर काबू पाबि लेनाई यौगिक सूक्ष्म व्यायाम अछि। एहिसँ शरीर के भीतर के प्रत्येक नस-नाड़ी, तन्तु, शिरा, धमनी, माँसपेशी आ हड्डी सबमें विचरण करयवला सूक्ष्म शक्ति सबपर नियंत्रण कयल जाईत अछि।
बुद्धिकर्मेन्द्रियप्राणञ्चकैर्मनसाधिया ।
शरीरं सप्तदशभि: सूक्ष्मं तल्लिगमुच्यते ।।
अर्थात् श्रोत्र (कान), त्वक् (चर्म), नेत्र (आँखि), रसना (जिह्वा), आ घ्राण (नासिका) ई पाँच ज्ञानेन्द्रिय अछि।
वाक् (वाणी), पाणि (हाथ), पाद (पैर), पायु (गुदा) आ उपस्थ (जननेन्द्रिय) ई पाँच कामेन्द्रिय अछि।
प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान ई पाँच प्राण आ बुद्धि तथा मन, एहि सत्रह तत्वक समूह शरीर कहलाईत अछि।
यौगिक साधन सबमें प्रणायाम के बहुत उच्च स्थान अछि। सूक्ष्म शरीरक सत्रह तत्वसबमें सँ पाँच प्राणरूप पाँच तत्वक आयाम(नियंत्रण) सँ प्रणायाम होईत अछि। परन्तु प्रणायाम सहित यौगिक सूक्ष्म व्यायाम सँ त सतरहो तत्व अर्थात पूरा सूक्ष्म शरीर पर तथा साथे-साथे स्थूल शरीर पर मनुष्य विजय पाबि लैत अछि।
‘शरीरेण जिता सर्वे शरीरं यौगिभिर्जितम्’
उपनिषद के एहि वाक्य के चरितार्थ करैत मनुष्य यौगिक सूक्ष्म व्यायाम सँ अपन तीनू प्रकार के शरीर पर विजय प्राप्त कय लैत अछि, जहिके फलस्वरूप साँसारिक आ आध्यात्मिक मार्ग के प्रौढ़ पथिक बनिकय अव्याहत गति सँ ब्रह्मानन्द के असीम आगाध सार मे निमग्न होबा में समर्थ भय जाईत अछि।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर स्व. धीरेन्द्र ब्रह्मचारी जीक याद में किछु हुनक अनदेखल फोटो सब अहाँसबलेल ….
आयुर्विद्या भवन, राँटी(मधुबनी) सँ प्रकाशित आरोग्य पत्रिका नीरोग के नवंवर 1983 अंक में प्रकाशित स्व. धीरेन्द्र ब्रह्मचारी के आलेखक मैथिली अनुवाद।