चुनाव आयोग’क “आइकन” दरभंगा रेडियो स्टेशन’क अन्तर्वार्ताकार आ मैथिली कवि गोष्ठी”क मंच संचालक श्री मणिकांत झा’क जन्म १५अगस्त १९६७केँ स्वाधिनतादिवस दिन भेलनि। हिना स्व०पिताजी सियाकांत झा आ माय स्व०विंध्यबासनी ग्राम शुभंकरपुर जिला दरभंगा जे एहि श्रवणपुत्र केँ एम०ए०धरिक शिक्षा दियेलनि। हास्य-व्यंग्य कविता कथा लेखन आ साहसिक यात्रा पर्यटन एवं सामाजिक कार्यमे सदैव लागले मणिकांत झा’जीक मणि श्रृंखलाक तेरहम पुष्प “छठमणि” मैथिली छठिगीत संग्रह हमरा देरीसँ हाथ आयल अछि। एहि पुस्तिका’क प्रकाशक महात्मा गांधी विकर्षण संस्थान लहेरियासराय (बिहार)छैक जे २०१७ ई०मे त्रिदेव प्रिन्टर्स शुभंकरपुर – दरिभंगा सँ छपल रहय। एहिक एकप्रतिक मूल्य ३० टाका अछि,आ कुल पृष्ट संख्या ३२ छैक जे पहिलखेप १५००० पोथी बहरायल। २९ छठि गीतक प्रथम संग्रह ई मणिकांते बाबूसँ संभव भऽ सकल से मैथिली रचना संसार एहेन श्रमसाध्य काज लेल हरदम मोन राखत। अहिक प्रकाशन मेँ सदैत सहयोगी जन केँ प्रति 15अक्टूवर, रवि दिनके श्री गणेशजी महराज आ सरस्वती कृपा प्रसादात डाॅ• जय प्रकाश चौधरी ‘जनक ॑ आ सुविज्ञ सहयोगी गणके प्रति , संगहि विज्ञापन दाताक प्रति आभार व्यक्त करैत गीत रचियताश्री मणिकांत जी स्वंय अपन अभिमत प्रकट कयने छथि। हिना लालित्य रचना छठिक सोहर सँ शुरू भेल अछि ,जेकर पाँति एहि तरहे देल छैकः-
कार्तिक षष्ठी इजोरिया सुरूज देव अयलनि लें
लाल छठिक अर्घ से दाई माई आई देलनि से
रानामाई सहाई संगहि दिनकर हे॰…………
झूमर भास पर आधारित गीतक पाँति एहि तरहेँ अछिः-
कहीं भरोशे दीनानाथ व्रत ठनलिए यौ
यौ दीनानाथ बरत ठनलिए यौ
दीनानाथ बढियाँ सँदियौ पार लगाती कि
शरण हम अहींक एलिए यौ ।……….2
छठिमायक आराधना लगिचाइते ओरियानमे भक्तजन लागि जाइत अति, बिहारक ई पवित्र पावनि डुबैत सूर्य आ उगैत सूरज केँ अर्घ निवेदित कमल जाइछ ; जे नहाय खायसँ व्रती पावैन शहनिहार-शहनिहारि आरम्भ करैत छथीन।भास – चुड़ी बेचने आया पर ई गीत य –
नहाय खाय के करीब ओरियाने
आई भोजन अरवा-अरवाइने ।
नियम निष्ठा केर कमी नहि होये
आई व्यंजन में सजमनि सोहे……..
भास, सांझ’ मे ई गीत कतेक रोचक ढंगेप्रस्तुत अति से देखू-
हाथ उठबू , हाथ उठबु पबनैतिन द्इयो
हे बेर बीतल जाइए ।
दिनकर देता अस्ताचल से बेर बितल जाइए ।………..
भास-माधव कत तोर करब भराई आधारित ई गीत:-
राणा माई होइयो आब सहाई-२
आब ने हमरा सहलो जाइए गला गेल सुखा
पुरुष दिशा में से सुरुज हेरति आँखि गेल पथराय…….
भास-के पतियायत जायत से। पर सुंदर सन ई रचना देखू-:
के पथिया लय जायत ये मोरा छठिक घाट
पिया मोरा आजु नहि आयल ये हम जोहल वाट ..…….
होई छै अर्घक दान ”शिर्षक ” गीतमे पाठक पवताह ई पांति-
…..रोग आ व्याधि हरै छथि,
सबहक पूरन काम-२
ठकुआ केरा ओ कुरनी ,
सबका पुराने विधान-२
लाल काकी के देखियउन दै छथि दण्ड प्रणाम,
देखियौ उठलनि दिनकर…….।
मिथिलांचल मेँ एहि प्रसिध्द पावनिक महौत जतेक अछि आ जतेक पुरानचर्चा अहि ताहूसँबेशी बिहार” राजधानी पटना में देखाईछ। सम्पूर्ण राइत जागरण घाट पर होइछ आ सांझक चढेलहा फेरसँ भोरवामे नहि,नव ओरियाउनक तहत टटका पकवान भोग लगावल अर्घ उत्सर्ग कयल जाइछ।बिहारी समाज जाहि नगर-शहरमे अर्थोपार्जन करय गेल होथि,ओतहि पड़ोसी सँ मिलकऽ छैठव्रत’क अराधना करैत एकटा मनोरम छँटा नदी-समुंदर तक आ पोखरि-तलाव घाट पर प्रर्यावरण क’ स्वच्छताक संदेशक संग अनुष्ठान करैत देखाइछ। मणिकांत जीके आंगनधरि मिनी पोखरिबनिगेल अति,एहि महिमा मंडित छैठ पावनिके मनाबैयमेँ। सुनके रचल प्रांतिक अंश देकर जाई:–
उगियौ उगियौ दिनानाथ देखियो भेल अबेर यौ
पवनैतिन सब ठाढ पानिमे भेलै जेरक जेल यौ
आब नै कनियों करियौ देरी अबियौ बांसक दोग यौ
मेवा मिसरी केरा नारिकेल आबि लगाबू भोग यौ….
पुनश्च आश जगैत य मणिकांत भायजी एहि श्रृंखलाके शोरे सँ आगू शतक धरि अवश्ये पुगेंताह….देखाचाही ।
लालदेव कामत
लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार
7631390761