प्रवासक पीड़ा सँ दिन -दिन दुब्बर होइत मिथिला
सम्प्रति सम्पूर्ण संसार एखन वैश्विक महामारी सँ दू -चा रि भ’ रहल अछि।एखन पूरा मानव समुदाय एहि शताब्दीक भीषणतम संकट सँ लड़ि रहल अछि। अबैवला समयमे एहि महामारीक बहुत भीषण प्रभाव पड़ैवला छैक विशेष क’आर्थिक पक्षपर।दुनियाँक बिभिन्न भागक अपन समस्या छैक मुदा मिथिलाक समस्या भारतक आन प्रदेश सं भिन्न छैक। संसारक सभसं बेसी जनघनत्ववला प्रदेश थिक मिथिला।एतय रोजगारक अवसर अत्यन्त क्षीण छैक।उद्योग छैक नहि आओर कृषिपर एतुका लोक के भरोस रहलै नै तें खेतीबारी प्राय: पूर्णरुपेण चौपट जकां अछि। आइ जखन कोरोना सन महामारीक बिनु परबाहि कयने बिहार आ मिथिलाक लोक दिल्ली सं अपन गामक लेल पायरे विदाह भ’ जाइछ। कतेक दुखदायी आ चिंताजनक छलैक ओ दृश्य।हमर लोक एखनो बहुत भावुक अछि।अशिक्षित अछि मुदा अपना भूमिक प्रति ,अपन भाषाक प्रति हुनका लोकनिक भावनाक थाह लैये पड़त।ई दृश्य जतबे भयाओन छल ततबे भावुक।कियो व्यक्ति हजार किलोमीटर पायरे चलबाक लेल कोना विदाह भ’ सकैये? बस आ रेलगाड़ी मे ठुसि क’ मृत्यु सँ खेलाइत कोना अपन गाम लेल विदाह भ’ सकैये।एकटा साकांक्ष व्यक्तिक लेल ई सोचिक’ देह सिहरि जाइत छैक मुदा ई घटना भेल अछि, सद्य: भेल अछि।हमरा लोकनि देखलहुं जे 27सँ29मार्चक बीच दिल्ली मे संसार देखलक हमर बोद्धिकता। लोक हंसल मिथिलापर ,बिहारपर ।आखिर एहन दृश्य हमरा बिहारक कियेक छैक? की एकर सुधारक कोनो उपाय नहि छैक? एहि परिप्रेक्ष्यमे हम मिथिला के केन्द्र मे राखि एहि समस्यापर किछु विचार करय चाहब।की हमरा लग साफे कोनो साधन नहिअछि? जे समांग विभिन्न देश-परदेश मे रचि बसि गेलाह ओ लोकनि तं एतय एताह नहि मुदा जे मात्र मजूरी करबाक लेल ,एकटा बहुत खराप जीवन जीबाक लेल बिभिन्न प्रदेश मे जाक’ दिहारी मजूर,ठेकाक मजूर,कृषि मजूर बनि क’ ओहि प्रदेशक विकास मे अपन बहुमूल्य योगदान दैत छथि। तिकर हालति देखलियै ओ प्रदेश सभ विपत्तिक बेर मे हुनका सभक भार मासो दिन वहन करबाक लेल तैयार नहि भेल।कहबाक प्रयोजन ई जे आबयवला समय बहुत कठिन अछि।ई महामारी दुनियांक उद्योग धंधा के चौपट क’ देत।सम्हरै मे बहुत समय लगतै।आनठाम रोजगार भेटब आर दुरूह होबयवला अछि।तँ किये नै एहि अवसर केँ हमरा लोकनि मिथिलाक आर्थिक पुनर्चना मे लगाबी।सफलता -असफलता जे हुए जे मुदा सोचबाक बेर तँ ई अछये। कहिया कहलनि यात्रीजी ‘की पाकि जाइत प्रवासहि मे हमर केस? से अद्यावधि ओएह स्थिति अछि।पहिने तं कोरोना सँ उबरी।उबरे करब ।पछाति ओहूपर सोचि।सोचबाक बेर अछि।दुनियाँ के लोक बहुत लगीच सँ देख र हल अछि।सामाजिक दूरी सभ दिनक लेल नै रहतै।हम सभ लगीच आयब।एक दोसराक दुख सुख मे संग रहब।मुदा ई बिमारीवला सोसल डेस्टिंग के चिंता हमरा नै अछि।हम चिंतित छी ।मिथिलामे राजनीतिक नेतृत्व द्वारा जे एकटा कृत्रिम सामाजिक विभाजन बहुत चालाकी सँ पैनिक रुप स सँ जे कयल गेल अछि।जे मिथिलाक विकास के सभसं बेसी अवरुद्ध कयने अछि। ओहि दूरी केपाटबाक प्रयास करी। नहियो क’ सकी तँ मुदा कम सं कम तँ करैये पड़त।एक दोसराक सम्मान करब।मनुक्ख कें मनुक्ख बुझब। जे अदौ सं हमर संस्कार मे छल से फेर सं मोन पारय पड़त। समय आबि गेल अपन उन्नत एवं उपजाउ मिथिलाक बिषयमे फेर सँ सोची।
पलायन मिथिलाक लेल अभिशाप
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पलायन वा प्रवास मिथिला मे बहुत पहिनहि सँ होइत रहल अछि,ई कोनो नव बात नहि अछि मुदा आइ सय बर्ख पाछाँ जखन हम जाइत छी त’ ओहि समयक पलायन आओर एखनुक पलायनक प्रकृति पूराक पूरा बदलल सन बुझाइत अछि।पहिने किछु विशिष्ट लोक जे कोनो खास विद्या मे निष्णात रहैत छलाह जेना कर्मकाण्ड,ज्योतिष ,संगीत आदि मे ओ विभिन्न राजाक द्वारा बजाओल जाइत छलाह हुनक प्रतिभा के पूरा सम्मान भेटैत छलनि ओहन किछु व्यक्ति अपन देस सँ पलायन क’ परदेस मे बसि जाइत छलाह।ओतय अपन प्रभाव बढ़लापर अपन सम्बन्धी ओ समाजक किछु लोक कें सेहो ल’ जाइत छलाह।एहि पलायन सँ मिथिलाक अर्थव्यवस्था पर कोनो प्रभाव नहि पड़ैत छलैक,कारण हमर गाम स्वाबलंबी छल।गाम अपना जोकर अन्न,फल ,तीमन -तरकारी ,दूध-दही,औषधि आदि उपजा क’ लैत छल। वस्त्रक लेल बाँगक खेती सेहो कने- मने होइत छल।मिथिला नदी प्रदेश अछि बेर- बेरक दाही आ रौदी सेहो एतहुक अर्थव्यवस्थाक डाँर कमजोर क’ देलकै।लोक भोजनक लेल पलायन करय लागल।बिसम शताब्दीक आरंभमे जे अनपढ़ किसान ,मजूरक पलायन आरंभ भेल से ठहरबाक नामे ने ल’ यहल अछि।आब स्थिति ई अछि जे जन मजूरक अभावमे मिथिलका खेत पथार परती-पराँट पड़ल अछि।कलम गाछीमे बाँझी लटकल अछि।पोखरि,डबरा सभकेँ भूमाफिया सभ भरि -भरि क’ बेचि रहल अछि।नदी धार सभ गादि सँ भरि गेल अछि।एतय धरि जे अपन बाड़ी झाड़ी पड़ल अछि कियो खुरपी छुनिहार नहि।कोलकाता सँ रेलगाड़ी सँ जखन भोरे तरकारी उतरैत अछि तखन मिथिलाक छोट छोट नगर सँ गाम धरि चुल्ही पजरैत अछि।गुजरात सँ अमूलक डेयरी उत्पादक लेल टकटकी लगौने रहैत अछि मिथिला। बहुत भयाओन स्थिति अछि।
असलमे ई समस्या विकराल रुप धारण केलक आजादीक पछाति।बिहारक नेतृत्व मिथिलासँ सदति सतौत सन बेवहार केलकै।गंगाक उत्तर विकास लेल कहियो समुचित धियान नहि देल गेल।ने उद्योगक विकास भेल आ ने कृषिपर धियान देल गेल।लगातार रोदी दाही सँ उबि क’ लोक पराय लागल।आब स्थिति ई भ’ गेल छैक जे एतुका पुरुष केँ मिथिलाक अर्थबेवस्था पर सँ विश्वास साफे उठि गेल छैक। बिहारक सरकार मिथिलाक स्थितिपर धियान देबाक लेल साफे तैयार नहि अछि। पहिलहुँ सँ जे चीनी ओ जूटक उद्योग सभ छल सेहो सब बन्न पड़ल अछि। लोक पहिने किछु कष्ट सहियो क’ गाम मे रहैत छल से मनोवृत्ति बदलि गेलैक अछि सभ आब शहरमे रहय चाहैत अछि।नीक स्वास्थ्य सुविधा आ शिक्षा प्राप्त करय चाहैत अछि मुदा से पलयन सँ कथमपि संभव नहि छैक।जे अकुशल,अशिक्षित लोक सब धर्रोहि लगाक’ पलायन करैत अछि ओ सब अपना गाम सँ सेहो बहुत खराप जीवन जीबाक लेल अभिशप्त रहैत अछि।मुम्बइक स्लम क्षेत्रमे दिल्ली झुग्गी मे, फुटपाथपर आ पंजाबक किसानक दरबज्जापर हिनका सभक स्थिति बहुत खराप रहैत अछि,एक तरह सँ अपन धिया पुताक लेल पिड़ादायक जीवन जीबाक लेल ई लोकनि अभिशप्त रहैत छथि।ओकरे परिणाम छैक जखन पता चललै जे महामारी पसरि गेलैक त’ बिनु अपन जानक परबाहि कयने पायरे गाम विदाह भ’ गेलाह बिहारी मजूर,मैथिल मजूर।जनै छी एकर सबसँ बेसी कष्ट भोगि रहल अछि एतुका स्त्री आओर नेनासभ। हमरा मोन पड़ि रहल अछि यात्रीजीक एकटा कविता ‘गामक चिट्ठी’ ।कोना एकटा बच्चा अपन पिताक दुलार लेल वेकल रहैत अछि।ओ स्थिति दिन- दिन बढ़ले जा रहल अछि। मिथिलाक स्त्री लोकनिक मनोदसाक चित्रण यात्रीजी कोना कयने छथि से देखल जाय।
“चिट्ठी पबैत देरी तुरंत
भ’ जायब विदा
जँ हाथ हुए खाली तैयो
से लिखलनि अछि बौआक माय
अपनहि हाथेँ
झट आउ गाम
नहि आबी त’ हमरे सप्पत
जँ होए एकोरत्ती सिनेह बेटाक हेतु
जनु अनठाबी
भ’ जाउ बिदा चिट्ठी पबैत देरी तुरंत
से लिखलन्हि अछि अपनहि हाथेँ बउआक माइ”
पत्रात्मक ई कविता पैघ छै, बहुत मार्मिक छैक।से साठि बरख पहिनेक कविताक अछि।सम्प्रतिक हालति ओहि सँ बहुत खराप भेल अछि ,बहुत खराप।चितनीय अछि।अति चिंतनीय!
पलायन आओर मिथिलाक स्त्री
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मिथिलाक जे जन पलायन भेल अछि तकर सभसँ बेसी मारि पड़ल अछि स्त्री लोकनिपर। आइ जखन हम मिथिलाक गाम- गामक यात्रा करैत छी तँ बेसी स्त्रीए लोकनि भेटैत छथि गामपर। हिनका लोकनि जबावदेही बहुत बढ़ि गेलनि अछि।घरक भानस -भात,धिया-पुताक परिचर्या तँ हिनका करहि पड़ैत छनि आब जे किछु खेत खरिहान छनि सेहो हिनके सब कें देखय पड़ैत छनि।नेना लोकनिक शिक्षा- दीक्षा सं माल मवेशीक देखभाल,कर कुटुमक निमेरा सबटा हिनके माथपर छनि।हँ,एहिमे एकटा सकारात्म बात जे उभरि क’ आयल अछि ओ अछि स्त्री लोकनि स्वावलम्बन दिश बढ़ि रहल छथि।निर्णय लेबाक अधिकार हिनका भेट रहल छनि।पंचायतीराज मे आधा जगह सुरक्षित भेला सँ जन प्रतिनिधिक रुपमे जिला परिषद सँ वार्ड सभा धरि सभा ,बैसार मे भाग ल’ रहल छथि।स्वयं सहायता समूहक माध्यम सँ सेहो स्वाबलंबी बनि रहल छथि।समाजमे अपन भूमिका के निर्वाह सँ हिनका लोकनिक एकटा अलग पहिचान बनि रहल अछि।ई सकारात्मक पक्ष छैक मुदा एकर नकात्मक पक्ष भयाबह छैक।जे गरीब विपन्न परिवार अछि ।ओहि परिवारक पुरुष बाहर छैक,ओहो नीमन आमदनी नहि पठबैत छैक,एहना परिस्थिति मे जनानी केँ स्वयं श्रम करबाक लेल खेत मे,ईंट भट्ठा मे,मनरेगामे वा आनठाम जाय पड़ैत छनि।अशिक्षाक कारण कमे उमेरमे कैकटा बच्चाक माय बनि जाइत अछि।ओहि बच्चा सभक परवरिश आदिक भार ।एहन कोटिक स्त्रीक जीवन बहुत कठित परिस्थिति सँ गुजरि रहल छैक मिथिला मे।जँ ओहन परिवारक पुरुष गामेमे कोनो छोटो -मोट काज करय लगता त’ स्त्री लोकनिक जीवन स्तरमे सुधार हेतनिअसमय रंग रंगक बेमारी सं ग्रसित भ’ क’ कालकवलित हेबा सं बचती।
पलायन रोकबा मे मानसिक परिवर्तन सभसँ पैघ घटक
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अपना मिथिलामे लोक गाममे रहब अपना शान के खिलाफ बुझैत अछि।जाहिमे किछु एहन लोक सेहो छथि जिनका लग किछु पैतृक जमीन जथा छनि।कलम गाछी छनि।अपनो साधारण शिक्षित छथि मुदा ओ गाम छोड़ि देलनि।दस सँ पन्द्ह हजारक औसत दरमाहा पर नगर मे दस सँ चौदह घंटा धरि जीहतोड़ मेहनति करैत छथि।हुनका लोकनि के कहब छनि जे गाममे श्रमिक नहि भेटैत छैक खेती हेत कोना?दोसर आब कियो खेतीहर कहौनाय अपन अपमान बुझैत अछि।आब जमाना नहि रहलै जहिया ई कहल जाइ ,”उत्तम खेती ,मध्यम बान/ निषिध चाकरी भीख निदान।
चाकरीबला मानसिकता सिर चढ़ि क’ बाजि रहल अछि।ओ लोकनि अपन सभटा सम्पत्ति के ब्लौक क’ देने छथिन।
दोसर प्रकार पलायनवादी ओहेन लोक अछि जे जकरा भूमि नहि छैक,निर्भुमि अछि। ओकरा कतहुं मजूरेक काज करबाक छै।गाममे मनरेगा मे पंजीकृत अछि मुदा एक सय दिनक रोजगार नहि भेटैत छैक। ओ लोकनि गामक गिरहस्थक खेतमे काज करब अपन मानहानि बुझैत छथि।पंजाब मे चारि सय टाका मे दस घंटा खटता मुदा एतय पाचो घंटा नहि खटता।एहि मानसिकता सं अक्कछ भ’क’ बहुतो किसान खेती करब छोड़ि देलनि।खेत सब परती पड़ल अछि। दुनू पक्ष कें समुचित बिचार करय पड़तनि।किसान पक्ष उचित मजूरी देबाक लेल तैयार होथि आओर मजूर पक्ष उचित मेहनति जे आनठाम करैत छथि से एतय कियेक नहि करता। एहितरहक मानसिकतासं कृषिमे परिवर्तन आबि सकयै स़गहि कृषि कर्मक किछु अनुसांगीक काज जेना पशुपालन,माछपालन,मधुमाझी पालन आदि सेहो संगे चलि सकैत छी।
प्रवासी आओर धनीक मैथिलक पलयान रोकबामे भूमिका
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बहुतो गोटे पलायनपर चिंता व्यक्त करैत रहैत छथि।खाली चिंता व्यक्त केला सं की हैत? दुनियांक प्राय: भूभाग मे जे सम्पन्न व्यक्ति होइत छथि ओ अपन गाम ,क्षेत्रक विकासक लेल आगां देखाइत छथि।हमरो समाजमे ई प्रचलन छल मुदा पछिला पचास बर्खमे ई प्रचलन समाप्तप्राय भ’ गेल।पछिला पचास बर्ख पहिने मिथिलाक इसकूल,कालेज,अस्पताल,धर्मशाला आदिक निर्माणमे समाजक सभ वर्गक योगदान रहलैक अछि से बिनु कोनो सरकारी सहयोगक।हमरा गाममे एकटा प्राचीन हाइस्कूल अछि जकर स्थापनामे एकगोटे जमीन देलखिन ,एकगोटे भवन निर्माणक लेल टाका आओर गामक जनसाधारण श्रमदान केलनि।एहन हजारक हजार उदाहरण अछि मिथिलामे।
बेर आयल अछि मिथिलाक सम्पन्न आओर सक्षम भाई- बहिन लोकनि मिथिला दिश एकबेर आँखि उठा क’ देखियौ।बेसी नहि अपन- अपन गाम कें स्वावलंबी बनेबामे सहयोग हेतु आगाँ आबथि। काज करथि।बहुतरास समस्याक समाधान अपने भ’ जायत।हं,ग्रामवासी सभ हुनका लोकनि योगदानक सराहना करथि।हुनक काज कें उपहासात्मक नहि,सकारात्मकताक संग आत्मसात करथि।
आब अबैत छी की मिथिलाक विकास मे सरकारक सेहो कोनो भूमिका छैक की नहि? एखन जे सरकार अछि तकरा मिथिलाक विकासमे कोनो अभिरुचि नहि छैक।एकटा उदाहरण सं एकरा बुझल जा सकैत अछि ।जखन श्रीनीतीश कुमारक नेतृत्वमे ई जे तथाकथिन सुशासनक सरकार बनल से संकल्प लेलक जे अगिला पांच बर्खमे मिथिलाक सब बन्न चीनी मिल चालू क’ देल जायत।पनरह बर्ख बीत गेल।ढाक क तीन पात।तँ की हमसभ ओहिना हाथपर हाथ धयने बेसल रही।नहि, हमरा सबकें एकदिस अपना स्वाबलंबनक बदौलति ठाढ़ होब’ पड़त दोसर दिस सरकारी राजस्वमे अपन हिस्सा माँगय पड़त। एहि लेल युवा पीढ़ीकें जागय पड़तनि। मिथिलाक बन्न मिल सब चालू हुए। शिक्षाक बदौलति सेहो हम अपन शीक्षित बेरोजगाड़क बेरोजगाड़ी दूर क’ सकैत छी। स्तरीय विद्यालयक स्थापना,नीक कोचिंग संस्थान।व्यावसायिक शिक्षा संस्थानक स्थापना। सेहो पलायन के रोकबामे सहायक भ’ सकैत अछि।
कहबाक तात्पर्य जे इएह बेर अछि जे एहि समस्यापर हम सभ गहीरताई सँ विचार करी। आबयवला समय बहुत भयाबह होइबला अछि। आन प्रदेशमे रोजगारक भयानक संकट उत्पन्न होयत।समाजमे नीक वातावरण बनाबी।अपन भूमिक विकासमे योगदान दी। अपन -अपन गाम केँ अपना पैर पर ठाढ़ करी,आओर स्वाभिमान आ सम्मानक संग जीवन बिताबी।
स्रोत : दिलीप कुमार झा के फेसबुक वाल सँ
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