मिथिलाक प्रमुख नदी

IMAGE

मिथिलाक प्रमुख नदी
1. गंगा नदी – मिथिलाक सीमाक पश्चिमी छोर सँ पूर्वी छोर धरि दक्षिण भाग में सामान्यतः पश्चिम सँ पूब दिस गंगा प्रवाहित होईछ। अन्य नदी सब सेहो एहिमें आबि क समाहित होईत अछि।

मिथिला में पूब सँ पश्चिम दिस बहयवला किछु प्रमुख नदी एहि प्रकारे अछि :-

2. महानंदा नदी – कुर्सियांग सँ पूब महानंदीराम पहाड़क लग में एकर उद्गम स्थल अछि। पूर्णियाँ आ कटिहार होईत ई बंगालक मालदह जिलाक गंगा में समाहित होईछ। कटिहारक कदवा में ई दू धार में विभाजित भ जाईछ। एकटा दक्षिण दिस आ दोसर घाट पूब दिस मुड़ि जाईछ। कंकई, नागर, परगान, मेची (नेपाल) तथा दाऊक एकर सहायक नदी अछि।

3. कोसी नदी – हिमालय सं निकलि नेपाल होईत चतरा सँ कुरसेला क निकट आबि गंगा में मिलि जाईत अछि। मिथिला में ई शोक नदीक रूप में सेहो ख्यात अछि। ई अपन धार परिवर्तनक लेल सेहो प्रसिद्ध अछि। पछिला 250 वर्ष में एकर धार लगभग 120 किलोमीटर पश्चिम धरि आबि गेल। 1704 ई सँ पहिने ई पूर्णियाँ क पूब में बहैत छल, मुदा आई सहरसा, सुपौल के नाँघि मधुबनी जिला धरि पसरि गेल अछि।

4. गंडक नदी – ई सोमेश्वर पहाड़क पश्चिम में मैदान में आबिकें चम्पारणक बाल्मिकीनगर में मिलि जाईत अछि। मुंशी, दाहा, नून, झरही, तोल, सोनहा, बया केहाने, जमुआरी फरदो, आदि छोट नदी सब एहि में मिलि जाईत अछि।

5. बूढ़ी गंडक – पश्चिमी चम्पारण में ई मिथिला में प्रवेश करैत अछि आ मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय होईत खगड़ियाक लग आबि गंगा में मिलि जाईत अछि। प्राचीन कालक विशाला नदी आब बूढ़ी गंडक कहबैत अछि। साकरहना, रामरेखाक सातो धार, पंडई, धोरम, करटहा आदि बहुतो नदी एहि में समाहित होईछ।

6. बागमती नदी – हिमालयक दक्षिणी ढ़लान सँ निकलि आदमबाँध लग मिथिला में प्रवेश करैत ई नदी शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, खगडिया में प्रवाहित होईत कुशेश्वरस्थानक दक्षिण-पूब में आबि कोशी में विलीन भ जाईछ।

(अधवारा समूह नदी) अधवारा, हरदी, लखनदेई, बघोर, मरहा, धाड़स, खिरोई, झीम, माढ़ा, कटबां, हरसिंधी, बुढ़नद, रातो, घोमने, कोकडा, सिंहवाहिनी, गोगा, बांकी, शिकाओ, वरदे, बच्छरराजा आदि।

7. करेह नदी – हायाघाट लग ई नदी सब बागमती में मिलि क करेह नामसँ जानल जाईछ जे बदलाघाट में कोसीमें विलीन भ जाईछ।

8. लखनदेई नदी – ई सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर दिससँ होईत बागमती में मिलि जाईछ। एहिमें सालों भर पाइन भरल रहैछ।

9. कमला नदी – ई नदी हिमालय सं निकलि क मधुबनी जिलाक जयनगर लग मिथिला में प्रवेश करैत अछि। एहि नदी के धार्मिक दृष्टि सँ सेहो देखल जाईछ कियैक तँ एकरा लक्ष्मी सेहो मानल जाईत अछि। धारा परिवर्तन करैत ई पहिने करेह में, तथा क्रमशः तिलयुगा, जीबछ आ बलान में मिलि जाईत अछि जे आगाँ जा क कोशी में मिलि जाईछ। एकरा कमला बलान सेहो कहल जाईत अछि।

10. अन्य नदी एहि प्रकारे अछि : नारायणी, त्रियुगा (तिलयुगा), बलान, कालीकोशी, सुन्नकोशी, दुग्धकोशी, इन्द्रावती कोशी, लघुकोशी, रहुआ आदि।

मिथिलाक सम्पूर्ण क्षेत्र में 50 सँ बेसी नदी सब अछि। 60 सँ 70 हजार धरि पोखरि आ चारि हजार सँ अधिक चौर अछि। एहि सब नदी-पोखरि में एतेक अधिक मात्रा में जल उपलब्ध रहबाक बादो एकर आईधरि समुचित प्रबंधन नहि कयल जा सकल अछि आ हर साल मिथिला बाढ़ि के प्रकोप झेलय पर मजबूर अछि। मिथिलाक एहि सं बेसी दुर्भाग्य की भय सकैत अछि ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *