मणिभूषण राजू । दरभंगा
दिशाहीन पोलिटिकल व्यवस्था के हमसब वाहक बनि रहल छी।राजनीतिक दल सत्ता केंद्रित राजनीति के प्रवाह में वोट जुगार टेक्निक के बात कय सत्ता लैत आ दैत आबि रहल छथि।
अहाँक सत्ता लेन-देन से अहाँक आ अहाँक पार्टी के विकास भेल अछि। आवाम पहले भी ठकाईत जा रहल छल आ आई सेहो ठका रहल अछि।
भावनात्मक मुद्दा भरि पेट वलाके सकून द सकैत अछि। खाली पेट वला के रोटी-कपड़ा-मकान के संग शिक्षा आ स्वास्थ के जरूरत होईत अछि। कियो हिन्दू के बात करैत अछि कियो मुस्लिम के बात करैत अछि। कियो दलित-पिछड़ा -अतिपिछड़ा के राजनीति करैत अछि कारण एहि वर्गक जनसंख्या बेसी अछि। सवर्ण-वैश्य पर फोकस एहिलेल नै होईत अछि कियैकि ओ हिन्दू कैटोगरी में आसानी से मैच कय जाईत छथि। दोसर तरफ मुस्लिम राजनीति सेहो सब करैत छथि परंतु तुस्टीकरण के आरोप नै लागय एहिलेल ओहिके खुला समर्थन सँ डेराईत रहय छथि। आब कहू सत्ता कॉंग्रेस के छल या NDA के अछि या सयुंक्त मोर्चा के रहल……. ओ सब देश आ देश वासी के कल्याण के लेल की कयलथि?
मंडल आयोग – कमंडल आयोग में डिवीजन कय वोट के आधार मजबूत कयलक। आजादी दियाबय के पेटेंट के सहारे राजनीत करयवला तुस्टीकरण के बढ़ावा द कय एक वोट बैंक को फिक्स कयलक। संगे उनके देश आजादी दिलाने बाले पार्टी के भावनात्मक वोट पर राजनीति करैत रहल। सही मायने में देश के लेल कम अपना लेल, अपन पार्टी के लेल सब काज कम बेसी लूटय के काज कयलथि। राजनीतिक दल सँ देश बदलय के आशा कयनाई बेइमानी अछि। कियैकि सब के बेरा-बेरी सँ सत्ता दय कय जनता देखि चुकल अछि। राज्य योजना होई या केंद्रीय योजना किर्यान्वयन में भारी अनियमितता होईत रहल अछि। अहाँसब लोक चर्चा करय छी पंचायत सँ होबयवला काज सब में लूट अछि। वार्ड स्तर पर नल-जल होई या नली-गली या अन्य पंचायत के योजना सबपर मे अहाँसब कहय छी भारी लूट अछि। आवास योजना बिना देने भेटत नै सौचालय योजना बिना देने भेटल नहिं। पंचायतो में विभिन्न कल्याण कारी योजना जे कृषि विभाग के होई कल्याण विभाग के होई या स्वास्थ आ शिक्षा के बात होई या खाद्य आपूर्ति विभाग होई सबजगह जगह लूट मचल अछि। विभिन्न विभाग सँ होबयवला पैघ काज मे सेहो कम-बेसी भ्रस्टाचार अछिए। पैघ-पैघ सड़क निर्माण हो या पुल के या भवन के सब में गड़बड़ी त रहैते अछि।
सांसद विधायक फण्ड आ ओहिके किर्यान्वयन में सेहो त अहाँसब कहय छी कमीशन खोरी होईत अछि। एकटा जानकार कहय छलथि कि सोलर लाइट बगैरह में बेसी कमीशन भेटैत अछि आ ओहिसँ कनि कम चापाकल में आ सड़क भवन में त बहुते कम भेटैत अछि। एहन चर्चा अबैत दिन होईत रहैत अछि। कहू त सरकार बदलला सँ की ई सब लूट बदलल?
कारण अछि सरकार के लूटय के लेल पैघ-पैघ प्रोजेक्ट अछि ई त नीचा स्तर के प्रतिनिधि के लेल लूट सँ हुनकर सेहो कल्याण होई एहन व्यवस्था बनाओल गेल अछि। राजनीतिक दल सत्ता साशन में रहल वर्ष के अनुपात में हजारो करोड़ के मालिक बनि गेलथि आ उनका दल हजारों करोड़ के पार्टी बनि गेल। वार्ड मेम्बर सँ मुखिया, जिला परिषद समिति प्रमुख तक के कल्याण होईत रहल अछि।
संसद विधायक मंत्री के सेहो कल्याण होईत रहल अछि। एहि सबसँ बेसी एहि योजना के किर्यान्वयन करबाबयवला अधिकारीलोकनि हिनका सबसँ कई गुणा कमा कय मालामाल भेल छथि। वर्तमान प्रधानमंत्री मंत्री जी आ बिहार के मुख्यमंत्री जी अपेक्षाकृत दोसर सँ बहुत ईमानदार छथि। ओ चाहय छथि सुधार हो वा उनसे पहले के शासक सेहो सुधार चाहय छलथि।
व्यूरो क्रेट्स मतलब कार्यपालिका सुधार होबय नै दैत अछि। कारण हुनका सबके काजक किर्यान्वित करबाक छनि आ ओहिपर अंकुश लागल त ओ काज के धीमा गति सँ डिलेवरी करय लागय छथि जे पांच साल बीत गेलाक बादो कार्य प्रगति बहुत कम, मात्र बीस से तीस प्रतिसत होयत। त अहाँक जनता मालिक सत्ता सँ नाराज हेताह जे सत्ता निकम्मा अछि कहत। आरोप सँ बचबा लेल काज जमीन तक पहुंचाबय लेल मजबूरन लेनी-देनी में नै चाहितो मौन समर्थन देबय पड़ैत अछि।
यैह कारण अछि हिनकर शासन में भी लूट व्यवस्था जारी अछि। पूर्वर्ती सरकार में ई सब खुले आम छल जखनकि एहि सरकार में इहो सिस्टमेटिक अछि। सीधा बेनिफिट स्किम सरकार चाहैत अछि जनता के भेटय। अधिकारी उलझा क मनमानी करैत रहय छथि। सरकार आ अधिकारी के लूट व्यवस्था सँ लाभ अछि एहिलेल भ्रष्ट व्यवस्था समाप्त नै करैत अछि आ जे ई चाहय छथि ओ अपने समाप्त भय जाईत अछि चाहे ओ सरकार होई वा अधिकारी। सब दल एहि पॉलिसी पर काज कय रहल अछि जे आई तोहर बारी कालि हमार।
एहि व्यवस्था सँ अहाँक नुकसान भय रहल अछि त अहाँ कियै नै व्यवस्था बदलय ओहिलेल दबाब बनबै छी। आम जनता के एकटा गैर राजनीतिक संगठन बनाकय सरकारी योजना सबके किर्यान्वयन के मोनेटरिंग करना चाही। जखन गैर राजनीतिक संस्था छोट-छोट गड़बड़ी के खिलाफ आवाज बुलंद करत त सरकार के अधकारी के मजबूर भय क व्यवस्था सुधारय पड़तनि। जखन गड़बरी हेबे नै करत त कियो ककरो कमीशन नै देतै।
काज आसान नै अछि बहुत मुश्किल अछि परंतु नामुमकिन सेहो नै अछि । ध्यान रहय कि व्यवस्था सँ टकरा कय अहाँ व्यवस्था नै बदल सकय छी। ओहिके लेल शांतिपूर्ण, अहिंसक आ प्रतीकात्मक विरोध करय पड़त। हमसब व्यवस्था बदलय लेल संविधान प्रदत शक्ति के उपयोग करब। व्यक्ति नहिं, संस्था एहितरहक काज करय त बदलाव आयत। व्यक्ति कोनो अनियमितता के प्रत्यक्ष दर्शी अछि त व्यक्ति ओहि बात के तत्काल विरोध नहिं कय सकैत अछि। कारण अनियमितता करय वला आर्थिक आ शाररिक रूप से मजबूत अछि।
शिकायत करला पर हमला करवा देत या फर्जी मुकदमा करा देत। एहिलेल जरूरी अछि कि संगठन ओहि गड़बरी के विरोध करत आ संगठन मतलब टीम काम करत। छोट-छोट बात के लेल जे कानूनी अधिकार भेटल अछि अहाँ ओहि काज के लेल सेहो घूस दय क काज करबाबय छी।
जेना थाना पर प्राथमिकी दर्ज कराबय में पैसा दै छी जबकि हर हाल में प्राथमिकी दर्ज होबाक अछि। कानून सम्मत करबाई सेहो होबाक अछि।
दोसर दाखिल-खारिज ऑनलाइन होईत अछि तैयो दाखिल-खारिज में घूस दैत छी। ब्लॉक सम्बन्धी आन काज के सेहो लोक सेवा के अधिकार कानून के तहत आवेदन देबाक चाही आ अगर तय समय सीमा में काज नै होईत अछि त लोक शिकायत कानून के तहत प्रदत अधिकार के प्रयोग करबाक चाही।
एहन नै क कय अधिकतर लोग ल-द क काज कराबय के चक्कर मे रहैत छथि। एहि काज के लेल संस्था जनता के मदद करय त बहुत हद तक व्यवस्था बदलि सकैत अछि। जरूरत अछि संस्था में वार्ड स्तर सँ लोकसबके जोरि कय एकटा पैघ अभियान चलाबय के। ध्यान रहय कि संस्था के उद्देश्य रहत सत्ता के विरोध नै करब। व्यवस्था के विरोध में आवाज उठायब। विपक्षी या राजनीतिक दल सँ ने सहयोग लेब आ ने सहयोग देब। तखन जाकय देश में एकटा नीक वातावरण बना सकैत छी।
आऊ एकर प्रारंभ अपन मिथिला सँ करी…….