आई विश्व पत्रकारिता दिवस पर अपन मातृभाषा के संग भय रहल भैदभाव लेल ठाढ़ भेलथि डिजिटल पत्रकारक टीम……रचलन्हि इतिहास
आई 3 मई के विश्व पत्रकारिता दिवस दिन मिथिला के युवाजन #MaithiliInPrimaryEducation ट्विटर पर ट्रेंड कराकय एहि मुद्दा लेल जनसमर्थन हेतु आवाहन कयलन्हि।
आजुक ट्रेंड में अनेकानेक प्रबुद्धजन अपन सहभागिता देलन्हि आ मैथिली के बारे में एतिहासिक जानकारी देलनि जे ई बुझबाक हेतु काफी अछि कि आजादी के बाद मैथिली आ मिथिला संग कतेक सौतेला व्यवहार कयलक बिहार सरकार….
मात्र किछुएक ट्वीट में मैथिली के डेढ़ सौ सालक इतिहास देखा देलनि कलकत्ता सँ श्री भाष्करानंद झा ‘भाष्कर’
१९३१ के जनगणना मे कुल तेरह भाषा मे मैथिली भाषा देशभरि मे सातम स्थान पर छल । तथापि कांग्रेस १९४७ मे मिथिलाकें प्रान्त नाही बनौलक। pic.twitter.com/16JqxvB0Bh
— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 3, 2020
#मिथिला
मिथिलाक्षर का सबसे प्राचीन नमूना भागलपुर के मंदार पर्वत अभिलेख में मिलता है। देवघर में संरक्षित।डा० राजेंद्र लाल मित्र ने सर्वप्रथम इसका प्रकाशन “जर्नल ऑफ एसिया. सो. ऑफ बंगाल” के 1883 ई० अंक में पृष्ठ 190-91 पर करवाया ।अभिलेख गुप्तवंशीय राजा आदित्यसेन के शासनकाल 7वीं सदी pic.twitter.com/aFQhmdMM2E— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 1, 2020
मैथिलीक इतिहास डेढ़ हजार वर्ष सँ पुरान अछि आ हिन्दीक मात्र पांच सौ वर्षक । शिक्षा नहि हेतैक त’ आगामी दू सँ तीन जेनरेशन मे मैथिली विलुप्त भ’ सकैत अछि। अपन मातृभाषाक रक्षार्थ सजग होउ । pic.twitter.com/qIbaWlKI7V
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#MaithiliInPrimaryEducation
मैथिली के पूर्ण भाषाक दर्जा 1965 मे, संवैधानिक दर्जा 2003 मे भेटल । 2003 मे पटना हाइ कोर्ट के निर्णय अनुसार बिहार के NDA सरकार के मिथिला क्षेत्र मे मातृभाषा मैथिली मे प्राथमिक शिक्षा आरम्भ करबाक निर्देश भेटल रहैक जे एखन धरि लम्बित अछि । @NitishKumar pic.twitter.com/h8PQSknejx— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 3, 2020
मैथिलीक क्रियापदान्त देखू-
हिन्दू बच्चा है कि अजब हुस्न झरै छै
बरवक्त सुखने गुफ्तन मुख फूल झरै छै।।
गुफ्तम जलवेलालें तू बोसा बकीरम।
गुफ्ता केँ अरे राम!तुर्क कथाएँ करै छै।।~ अमिर खुसरो (14th century)@NitishKumar @CmobiharKumar @PMOIndia pic.twitter.com/GsijE6hVxX
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#MaithiliInPrimaryEducation
In view of the immense significance and populariry of Maithili Language even the Bible and Gospels of Life have been translated into Maithili. If Christians of the world can , why not CM Nitish kumar & Bihar Govt?@NitishKumar @biharCMO @PMOIndia pic.twitter.com/7JSV0r8dxr— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 3, 2020
#MaithiliInPrimaryEducation#MaithiliInPrimaryEducation
मिथिलाक विकास तखने होयत जखन हमर मैथिली भाषा समाजक जन जन क’ भाषा बनत। ओ तखने होयत जखन मैथिलीक पढ़ाई प्राथमिक स्तर सं होयत।आजुक बच्चा सभ अपन मैथिली भाषा बिसरि रहल छैक । pic.twitter.com/ZGDmGNtqC3— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 3, 2020
In 1949, the government accepted the demand to use Maithiti from the primary level upto the seventh standard and introduced Maithili in Bihar University (1952—), Bhagalpur University (1960—), Ranchi University (1960—) and Magadh University (1962—). pic.twitter.com/MQXJQR6Otv
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In 1931, the then Maharaja of Darbhanga, Kameshwarsimha made an endowment of Rs One lakh to the University of Patna to create a Maithili development fund and ultimately in 1937, the language came to be recognized in the field of higher education. pic.twitter.com/dNPBLqCGs2
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Maithili was put in the map of higher education and in 1917, a chair for Maithili was established by Sir Asutosh Mookerji in the University of Calcutta as a part of the Modern Indian Languages studies. pic.twitter.com/TAeaN3SZD4
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ज्योतिरीश्वर ठाकर कृत “वर्ण रत्नाकर” मैथिली भाषाक प्राचीनतम उपलब्ध गद्य ग्रंथ छैक। एकर रचना काल 1324 ई0 मानल जाइत अछि। ई सात भागमे विभक्त छैक। समस्त उत्तर भारतक प्रथम गद्य ग्रंथ मानल जाइत अछि। pic.twitter.com/lQOnHle34p
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#MaithiliInPrimaryEducation
1860 marked the establishment of several schools in the province of Darbhanga by British administration.Maithili found itself being used not only for arts and literature, but also for history, geography, philosophy, ethics, mathematics, grammar, etc. pic.twitter.com/WBBeeVSNfi— BHASKAR JHA (@bhaskaranjha) May 3, 2020
बहुत प्रशंसनीय प्रयास । कोटिशः धन्यवाद। आवश्यकता अछि जे युवावर्ग तकनीकी माध्यम सँ अहिना सक्रिय होथु संगहि सक्रियता गतिशील रहय ताहि पर ध्यान राखथि । प्रौढ़ एवं वृद्धजन मात्र किछु सहयोग टा क सकैत छथि । अशेष मंगलकामना ।