जीआई टैग मे ‘मिथिला मखान’ नाम के लेल जन-जागरण के आह्वान :: बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’

  • जीआई टैग मे ‘मिथिला मखान’ नाम के लेल जन-जागरण के आह्वान :: बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’
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    प्रेस वार्ता मे विद्यापति सेवा संस्थानक महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू अभियानक रूपरेखा बतेलन्हि
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    सुप्रसिद्ध गायक विकास झा के गाओल जागरूकता गीत के बनायल गेल संस्थानक “मिथिला मखान” अभियान गीत
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कवि कोकिल विद्यापति अपन सर्वश्रेष्ठ रचना ‘सहज सुमति वर दिय हे गोसाउनि’ में जहि सहज सुमति कए याचना कुलदेवी माँ भगवती सँ कयने छथि, विद्यापति सेवा संस्थान सेहो ओहि सहज सुमति के स्वर्णिम पद पर जनमानस के जागृत करबाक संकल्प लेल। जीआई टैग मे मिथिला मखान के रूप में नाम दर्ज कराबय के लेल जन सहयोग आ जन-जागरण के केंद्र ‘ग्रामशक्ति’ अछि। उक्त बात रविवार के विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित प्रेस वार्ता में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू कहलथि।
ओ कहलथि कि वैश्विक महामारी कोरोना के ध्यान में रखैत शासन-प्रशासन द्वारा निर्धारित सब नियम के अक्षरश: पालन करैत मिथिला के जन-जन के मत के पत्र प्रेषण एवं सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर सक्रियता के साथ स्थापित कयल जा रहल अछि। ओ कहलथि कि संस्थान के जन जागरण अभियान के प्रतीक चिह्न ‘एक आँजुर मखान’ होयत। जकर प्रदर्शन आगामी गांधी जयंती के अवसर पर दुनिया भर में रहि रहल मिथिलावासी अधिक सँ अधिक लोकक बीच शेयर कय करता।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा, मिथिला आ मखान के भौगोलिक एवं सांस्कृतिक साक्ष्यके प्रदर्शित करैत कहलथि कि आई सँ दू अक्टूबर यानी गांधी जयंती तक संस्थान के तरफसँ प्रत्येक गांव में अपन बात राखल जायत आ बाढ़ आपदा आओर पलायन के समस्या के साथ-साथ कृषि एवं रोजगारक संभावना पर हर जगह चर्चा कयल जायत। मखान उत्पादन आ ‘मिथिला मखान’ के विभिन्न पहलू सबपर पर मिथिला के हर घर, समाज आ बाजार आदि में व्यापक चर्चा के माध्यम सँ मिथिला मखान ‘ नाम से जीआई टैग के लिए पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि यथा मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्यों आदि के माध्यम सँ विद्यापति सेवा संस्थान के अपन सहमति पत्र भेजय लेल अनुरोध कयल जायत। संगहि, सब सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, व्यावसायिक, छात्र संगठन, किसान और मत्स्य कल्याणकारी संस्था के साथ-साथ मिथिला-मैथिली सँ जुड़ल विभिन्न नगर एवं महानगर में सक्रिय सब संस्थान व मंच सँ ‘मिथिला मखान’ के विषय पर मुखर भय क अपन पक्ष व्यापक रूप सँ प्रेषित करबाक अनुरोध कयल जायत।
मिथिला मखान के नाम सँ जीआई टैग कयल जेबाक औचित्य पर अपन बात रखैत अर्थशास्त्र विषय के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं एमएलएसएम कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ अनिल कुमार झा कहलथि कि मखान के वैश्विक उत्पादन के 85% मिथिला में होईत अछि। जल-प्रलय से प्रभावित मिथिला क्षेत्र की मृदा मिट्टी आ जलवायु के विशिष्टता एकर प्रमुख कारण अछि। एहि दुर्लभ वनस्पति के उत्पादन सँ जुड़ल किसान आ मत्स्य पालक के अपन श्रम के उचित मूल्य नहिं भेंटैत अछि आ ओ सब बेहद कठिन परिस्थिति में एहि धरोहर के सम्हारने छथि। वर्तमान में मिथिला के नौ जिला दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सीतामढ़ी, सहरसा, सुपौल, अररिया और किशनगंज में एकर उत्पादन प्रमुखता सँ होईत अछि। परंतु, बढ़ैत मांग, संभावित निवेश आ नब तकनीक के प्रयोग सँ मिथिला के कुल 20 जिला में एकर उत्पादन के संभावना प्रबल अछि।
वनस्पतिशास्त्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं एमएलएसएम कालेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा कहलथि कि मखान के पौष्टिक गुणवत्ता आ व्यंजन विन्यास एहिके आधुनिक युगक भागदौड़ भरल जीवन-शैली के अनुरूप एकटा अद्भुत ‘फास्ट फूड’ बनबैत अछि। भारत सरकार द्वारा घोषित बजट पैकेज आ उचित जीआई टैग के सहायता सँ मिथिला मखान कैलिफोर्निया अल्मंड( 80%) आ पर्सियन सैफ्राॅन (93%) के तरह एकटा ग्लोबली कंपीटिटिव ब्रांड के रूप में स्थापित भय सकैत अछि। वैश्वीकरण के युग में प्रस्तुतीकरण विशेष के खास महत्ता अछि। एहि लिहाज सँ अपन प्रीमियम डिमांड के कारण ‘मिथिला मखान’ विदेश में बसल मिथिलावासी लोकनि के स्वत: अपन लोक-संस्कृति के गौरव होयत आ ओ एहिके मिठास सँ जुड़ल रहता।
संस्थानक सचिव प्रो जीवकांत मिश्र कहलथि कि जहि लोक-संस्कृति के अपन ग्रामीण समाज में अनेक अभाव रहितहुँ सहेज कय राखल गेल अछि ओहिके जीआई टैग केवल क्रय-विक्रय के उद्देश्य सँ कयल जेनाई सर्वथा अनुचित अछि। ओ कहलथि कि लोक-संस्कृति के गौरव के अवसर सबके समान रूप सँ मिलना चाही। एहिलेल हम मखान के जीआई टैग के लेल ‘मिथिला मखान’ के नाम का आग्रह करैत छी।
संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा सवाल उठेलथि कि सामान्यतः जीआई टैग के लेल उत्पाद के साथ क्षेत्र विशेष के नाम भौगोलिक पहचान के लेल प्रयोग होईत अछि। एहिसँ उत्पादक विशिष्टता आ क्षेत्रक विविधता उजागर होईत अछि। ऐहन में जखन ‘सिलाव खाजा’ आ ‘मगही पान’ के भौगोलिक पहचान के आधार पर नाम सँ जीआई टैग देल गेल, तँ फेर मिथिला के भूगोल एवं संस्कृति के प्रतीक मखान के आवेदन पर जीआई टैग के लेल ‘बिहार मखाना’ नाम देनाई, समझ सँ बाहर अछि।
प्रेस वार्ता के दौरान मैथिली मंच के युवा गायक विकास कुमार झा द्वारा गाओल गेल गीत ‘राजनीति नहि करियौ नेता जी…’ के ‘मिथिला मखान’ आंदोलन के अभियान गीत के रूप में घोषणा कयल गेल। प्रेस वार्ता में डॉ गणेश कांत झा, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढाभाई , मिथिलेश झा, आशीष चौधरी, मणि भूषण राजू आदि अनेको गणमान्य लोकक उल्लेखनीय उपस्थिति रहल।

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