पूर्व शिक्षा अभियानी 70 वर्षीय उमा देवी के निधन……श्रद्धांजलि
पछिला मास 4 मार्च के सड़क दुर्घटना में देकुली गामक उमा देवीक निधन भय गेलन्हि।
रामवतार चौधरी आ चन्द्रकला देवीक पुत्री उमा देवी 6 भाय-बहिन में सबसँ पैघ छलीह। हिनक आरंभिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में आ बाकी बिहार महिला विद्यापीठ, मझौलिया, दरभंगा में पूर्ण भेल। चूँकि पिताजी खादी ग्रामोद्योग में कार्यरत छलथि तैं ग्रामोद्योग संबंधी काज में दक्ष छलथि। केवल 14 वर्ष के आयु में हिनक विवाह देकुली निवासी जीवछ झा सँ भेलन्हि। जीवछ झा पाँच भैयारी में सबसँ पैघ छलथि तैं बाकी चारु भैयारी सबके देखभाल आ पारिवारिक निर्वहन शुरू सँ हिनक हिस्सा एलनि।पैघ होबाक नाते नैहरक अपन परिवार, सासुरक सबलोकक आ अपन सात संतानक घरेलू आ सामाजिक जिम्मेदारी एकटा पैघ सामजक नेतृत्व के लेल हिनका तैयार कयलन्हि।आर्थिक विपन्नता सँ लड़ैत अपन समस्त जिम्मेदारी पूर्णरूपेण निभवैत कतेको वर्ष तक दरभंगाक साक्षरता अभियान में सक्रिय भूमिकाक निर्वहन कयलन्हि। एहि अभियान सँ जुड़ि कतेको लोक के साक्षर बनौलथि आ सामजिक जीवन में सदा आदर्श स्थापित कयलन्हि।अपन गाम-समाज में श्रेष्ठतम व्यक्तित्व बनि उमा देवी पाँच-पाँच साल बतौर पंच आ वार्ड परिषद तक के सफर तय कयलाक संग भारतीय जनता पार्टी के आधार स्तंभ बनलथि अपन क्षेत्र में।
निधनोपरांत हिनक छोट भाई श्री जय किशन चौधरी कहय छथि – “हमरा जहिया सॅऽ ज्ञान भेल हम हुनका सोझा बच्चा रही। निम्न दूरी और भरि पोख स्नेह भेटैत रहै तैंऽ बच्चे सॅऽ दौडि-दौडि भेंट करवा लेल चलि जाई। शुरूआती दौड में हुनक झमटगर पारिवारिक जीविकाक आधार खेती और पशुपालन रहनि। परिवारक हर सदस्य अति मेहनती और आपसी तालमेल नियंत्रित रहनि। ओझा के बाबूजी के हम ताहि अवस्था में देखलियैन्ह जखन ओ शारीरिक परिश्रम करबा योग्य नहि रहि गेल छलाह मुदा परिवार में समन्वय और नियंत्रण के निर्वहन में महारथ हासिल छलन्हि। हमर बहिनिक भूमिका घर में अन्नपूर्णा के रहनि।व्यवहार एहन जे चारू देवर भाभी मां वला आदर दैत रहथिन। एकटा फूसक घर, सम्मिलित उद्यम सॅऽ ठीक ठाक कृषि आमदनी, जोड़ा बरद, जोड़ा दुधारू महीष, लगहरि गाय, अपन बच्चा समेत पति, चारिटा देवर, सास-ससुर, भरल बथान माल-जाल लेल खिचड़ी ई सभटा के समय पर आहार देनाई आजुक युग में कोनों एकटा स्त्रीगण लेल कल्पना स परे अछि। मतलब सम्मिलित परिवार के हंसैत-हंसवैत पूर्ण कुशलता सॅऽ पालन केनिहारि हमरा नजरि में हमर बहिन प्रथम और अंतिम नारि छलीह। एतवे नहि, परोपकार केनाई हुनकर सर्वश्रेष्ठ गुण रहनि। वो अपन क्षमतानुसार केकरो परोपकारक मद में निराश नहि करैत छलीह।”
मिथिलाक चर्चित युवा पुरातत्वविद आ दरभंगाक रहनिहार मुरारी कुमार झा(पुरातत्व) कहय छैथि- “हम जेखन 1.5 वर्षक रही तहिया स एखन धैरि हिनक संरक्षण में रहबाक सौभाग्य प्राप्त भेल। ओ दिन हमरा अइयो स्पष्ट मोन अछि, जखन हम लगभग 4वर्षक आयु मे खौलल(इन्होर) माँड़ स भरल अढिया(गमला) मे खैस पड़ल रही। गर्दैन स नीचाक शरीरक कोनों हिस्सा नै बचल छल। समुच्चा देह बड़का-बड़का फोंका अलैग गेल छल। हम जाहि ओछैंन पर सुति ओहि मे हम्मर शरीरक नबका आयल मांस सटल रही जायत छल, हमरा स खायल नै जायत छल, हम चैलि नै सकैत छलौंह, अपना स किछु उठा नै सकैत छलहुँ, एतय तक की हिलल-डोलल नै होयत छल, तेखन कोनों डॉक्टर नै हमर नानीए छलीह जे हमरा बचौलीह आ आई हम जे छी से अहाँ सब गोटे लग प्रदर्शित छी।
उमा देवीक आकस्मिक निधन सँ पूरा इलाका में शोक लहर छायल अछि। अनेको सामाजिक राजनीतिक लोक श्रद्धांजलि अर्पित कयलन्हि जहिमें उषा किरण खान, प्रो० डॉ रत्नेश्वर मिश्र(पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग), संग्रहालय निदेशालय बिहार के पूर्व निदेशक उमेश चंद्र द्विवेदी, इतिहासकार डॉ अवनींद्र कुमार झा, डॉ शंकरदेव झा एवं डॉ सुशान्त कुमार, मैथिलि विभाग LNMU विभागाध्यक्षा डॉ प्रीति झा, MLS संग्रहालय, दरभंगा के स० संग्रहाल्याध्यक्ष डॉ शिवकुमार मिश्र एवं तकनिकी सहायक चंद्र प्रकाश, श्री भैरव लाल दास(बिहार विधान परिषद), डॉ विमल तिवारी पटना संग्रहालय, राष्ट्रिय मुद्रा परिषद UP, ASI दिल्ली के पुराविदों में नवरत्न पाठक, विजय रथ, डॉ जलज तिवारी एवं धनलक्ष्मी, दिल्ली वि०वि० के प्रो० राधामोहन भारद्वाज, लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी के सचिव तरुण कुमार मिश्रा, प्रसिद्ध साहित्यकार शेफालिका वर्मा एवं मंजर सुलेमान, डॉ मिहिर चंद्र(DMCH+SBI), नेपाल के मुकेश जायसवाल, जापान की टोमोका मुसिगा, मिथिला चित्रकला की ख्याति प्राप्त कलाकार चंदना दत्त, श्रीमती कल्पना मिश्रा के साथ कमलेंद्र कुमार, राकेश चौधरी, केशव झा, संतोष मिश्र, स्वेता झा, संगम मिश्र, राजन कुमार, मुकेश कुमार, धीरज झा, व्योमेश झा, विकास झा, पंकज झा, प्रिंस, अजित मिश्र, विजय कुमार, अमर नाथ झा, इंद्रानंद झा, रामबाबू रंजन, नवनीत कुमार, सुजीत झा, विनोदानंद झा, निरंजन कुमार एवं समस्त गांव वासी छलथि।