आई विश्व विरासत दिवस अछि, जेकर अहाँ सब विरासत प्रेमी के मंगलकामना।
हम तखने याद कयल जायब जेखन अपन आबै बला पीढ़ी के एकटा संवरिद्ध, सुरक्षित आ मजगूत भारत देब। यूनेस्कोक द्वारा शुरू कयल गेल सब साल 18 अप्रील के मनाओल जाय बला “विश्व विरासत दिवस” एहने एकटा अवसर अछि अपन विरासत के संजोगि आ ओरिया क अपन आबै बला पीढ़ी के सुपुर्द करबाक संकल्पक।
अजुका एहि उपलक्ष्य में हम गप्प करब मिथिला स्थित दरभंगा जिलाक पुरातात्विक विरासतक, जेकरा हम रामायण काल स बुझैत छी, ओना एतय उत्खनन काज नै होबा कारणे एखन कतोक महत्वपूर्ण जनतब सोझाँ एनाय बाँचल अछि।
एतुका पुरास्थल आ पुरातत्व के देखि त शंकरपुर डीह, सिरूआ, कुरसों नदियामी, इनाई, महथावन आदि पुरास्थल स प्राचीन सिक्का, भच्छी, कोर्थु, पिपरौलिया, पंचोभ, सिंघिया, माधोपट्टी, विदेश्वर स्थान, हावीडीह आदि पुरास्थल स अभिलेख, बहेड़ा, डीह बर्रै, शंकरपुर डीह, देवकुली, हावीडीह, रमौली आदि पुरास्थल स प्राचीन स्थापत्यक(भवन आ मंदिर) प्रमाण, रमौली, हरहच्चा, कोइल्वारा, महथावन, वाराही, शंकरपुर डीह आदि पुरास्थल स प्राचीन टेराकोटा आ सौँसे दरभंगा स प्राचीन सैकड़ो मूर्ति भेटल अय आ बेर-बेर भेटिए रहल अछि। एहि क्षेत्रक 350-400 एहन पुरास्थल आ गांव अछि जतय अनेकों तरहक मृद्भाण्डावशेष छिटल पड़ल अछि। जेकर वैज्ञानिक परिक्षण, उत्खनन आ अध्यन होबाक चाही।
अतः खाली दरभंगे टा के नै अपितु सौँसे राज्य आ देशक स्तर तक अपन धरोहर(विरासत) संबंधी नुकायल रहस्य के उद्घाटित, सुरक्षित, संवर्धित आ संरक्षित केनाय हमर मुख्य उद्देश्य होबाक चाही। त आई ई विश्व विरासत दिवसक अवशर पर हम-अहाँ संकल्पित होय अप्पन धरोहरक संरक्षण के प्रति।