विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा मनाओल गेल यात्रीजीक 109वीं जयंती

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विद्यापति सेवा संस्थान द्वारा मनाओल गेल यात्रीजीक 109वीं जयंती

जनकवि वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ क 109अम जयंती बृहस्पतिवार के विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में मनाओल गेल। एहि अवसर पर परिसर में स्थापित बाबा नागार्जुनक प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाकर हुनका भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कयल गेल।

मौका पर कोरोना महामारी के गाइडलाइनक पालन करैत मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झाक अध्यक्षता में बाबा नागार्जुनक श्रद्धांजलि सभा आयोजित कयल गेल। सभा में विचार रखैत विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू कहलथि कि यात्री, आमजन के मुक्ति संघर्ष सबमें न सिर्फ रचनात्मक हिस्सेदारी देलथि, बल्कि स्वयं सेहो जन संघर्ष सबमें आजीवन सक्रिय रहैत प्रगतिशील धारा के कवि एवं कथाकार के रूप में विख्यात भेलथि। संस्थान के सचिव प्रो. जीव कांत मिश्र हुनका मिथिला के धरती सँ निकलल हिंदी साहित्य क महान यात्री कहलथि।

वरिष्ठ कवि मणिकांत झा अपन संबोधन में हुनका सामाजिक सरोकार के प्राथमिकता दैत हमेशा सत्ता के आंखि में आंखि मिलाकय शब्द-वाण से घायल करयवला जनकवि बताबैत कहलाह कि हुनक आलोचना के सेहो अपन अलग निराला अंदाज छलन्हि। वरिष्ठ साहित्यकार एवं विद्यापति सेवा संस्थानक कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बुचरू पासवान कहलथि कि ओ सही अर्थों में भारतीयता की माँटि सँ बनल एकटा ऐहन आधुनिकतम कवि छलथि, जिनका मैथिली, हिंदी और संस्कृत के अतिरिक्त पालि, प्राकृत, बांग्ला, सिंगली व तिब्बती सहित अनेक भाषाओं पर एकाधिकार छलन्हि।

डॉ महेंद्र नारायण राम हुनका आदिवासी जीवन क विडंबनाओं पर कलम चलाबयवला पहिल कवि बतेलथि। प्रवीण कुमार झा कहलथि कि बाबा नागार्जुन न सिर्फ कबीर के तरह अक्खड़, फक्कड़ व बेबाक छलथि, बल्कि वे जीवन के अंतिम पड़ाव तक व्यवस्था के विरुद्ध लड़ैत रहलाह।

अध्यक्षीय संबोधन में पं कमलाकांत झा कहलथि कि बाबा नागार्जुन सच्चे जन कवि छलथि। कियैकि ओ न सिर्फ हमेशा बेजुबान आम जनता के पक्ष में ठाढ़ दिखाई देलथि, बल्कि हुनक रचनासब में सेहो आम जनता के पीड़ा स्पष्ट रूप में अधिक दिखाई दैत अछि।
एहिसँ पूर्व कवि हरिश्चंद्र हरित, गुफरान जिलानी एवं शत्रुघ्न सहयात्री बाबा यात्री क रचना सबके पाठ कय हुनका भावपूर्ण श्रद्धांजलि देलथि। हरिश्चंद्र हरित हुनक कविता ‘कविक स्वप्न’, ‘फेकनी’ व उनकी कालजयी रचना ‘अकाल आ ओहिके बाद’ का मैथिली अनुवाद प्रस्तुत कयलथि आ, गुफरान जिलानी हुनक कविता ‘आन्हर जिनगी’ आ शत्रुघ्न सहयात्री ‘बूढ़ वर’ कविता क पाठ कयलथि।

मौका पर गोपी रमण ठाकुर, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, रमानंद ठाकुर, गंगा यादव, रामाशीष पासवान, विनोद कुमार झा विजय कांत झा, पप्पू सिंह, टीपू सिंह आदि लोकनिक उल्लेखनीय उपस्थिति रहल।

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