बिहार, मिथिला आ रोजगार : सोच बदलब जरूरी
जखन झारखंड बिहारमे छल तऽ बिहार लग उद्योगक लेल समुचित भूमि आ खनिज पदार्थक विशाल भंडारक संगहि पानि आ श्रमशक्ति पर्याप्त मात्रामे छल। मुदा बिहारक कोनो सरकार एकर पर्याप्त उपयोग नहि केलक। जखन बंगालमे उद्योग सभ एकाएकी बन्द भऽ रहल छल आ कारखाना सभ दोसरा ठाम जा रहल छल तखनो बिहारक सरकार एकरा सभकेँ आकर्षित करबाक कोनो चेष्टा नहि केलक। उदारीकरणक बाद देश भरिमे छोट-पैघ उद्योग लागल। किन्तु एहि ठाम तैयो कतहु किछु नहि।
सुशासन बाबू खाली ढोलहो पीटैत रहलाह। किछु कल-कारखाना लगेबो केलनि तऽ मात्र मग्गहमे। खनिजहीन पंजाब आ हरियाणा जखन खेती आ छोट-छोट उद्योगक बल पर विकासक कीर्तिमान गढ़ि सकैत अछि तऽ बिहार कियए नै !
बिहारसँ हटि मिथिलाक बात करी। एहि ठामक भूमि देशमे सर्वाधिक उपजाउ अछि। पानिक कोनो कमी नै छै, मात्र तकरा प्रबन्धनक बेगरता छै। खेतीमे कुशल किसान आ मजूरक पूरा वर्ग तैयार अछि। मात्र खेत आ पानिकें ध्यानमे राखि योजना बना आ तकरा कुशलतापूर्वक साकार कएल जाए तऽ एहि ठामक मजूरकें कतहु जेबाक खगता नै हेतै। पैघ उद्योग लेल सेहो बाँका जिला आ चंपारण जिलामे पर्याप्त परती ओ अनुपजाउ भूमि उपलब्ध अछि। एहि ठाम संक्षिप्तमे एक नजरि मिथिलामे उपलब्ध रोजगार, उद्योग आ व्यवसायक संभावना पर देल जाए :–
1) अन्न, मसल्ला, तरकारी आदिक खेती
2) आम, लिच्ची, केरा, कटहर, जामुन, लताम आदि विभिन्न फलक खेती
3) कुसियार, तमाकू, औषधीय वनस्पति आदिक नगदी खेती
4) माछ, मखान, सिंघारा, भेंट आदि जलीय खेती
5) फूल, मशरुम आदिक खेती
6) मधुमाछी, बकरी, भेंड़ी , गाए, महींस, सुग्गर, मुर्गी, बत्तख आदिक पालन
7) शीशो, नीम, सागबान, गम्हारि, सिम्मर आदि महग आ उपयोगी काठक गाछ रोपब
8) फल प्रसंस्करण उद्योग
9) कोल्ड स्टोरेज
10) कागत, चिन्नी, गुड़, जूट, औषधि, होजियरी, रेडीमेड कपड़ा, साइकिल, बरतन आदिक कारखाना
11) रॉलिंग मिल
12) IT पार्क
13) प्लास्टिकक वस्तुक उत्पादन
14) बोतलबन्द पानिक उत्पादन
(एहि उद्योग सभमे कम्मे जमीन लगै छै)
15) पर्यटन
16) पहिलका बन्द पड़ल मिल आ औद्योगिक प्रांगण सभक कायाकल्प
17) खादी, लाह, सूत, सीपक बट्टम, रेशम आदि पारंपरिक उद्यमकें प्रोत्साहित आ पुनर्जीवित करब
18) हथकरघा, हस्तशिल्प ओ हस्तकलाकें प्रोत्साहन
19) कुशल जल प्रबंधन द्वारा बाढ़ि आ पटौनी दुनूक समाधान
20) कृषिक उपजौनी आ उत्पादित माल लेल बजारक व्यवस्था
21) उत्पादन ओ रोजगारक लेल उचित व्यक्तिकें बिना कोनो फिरेसानीकें कम ब्याज पर ऋणक व्यवस्था
22) एहि सभकेँ उचित ढंगें लागू करबाक लेल आ प्रगतिक आकलन ओ निर्णयक लेल अधिकारप्राप्त तन्त्रक व्यवस्था
23) आदि आदि।
मजूर बाहर की जाएत, जे आओरो बाहरसँ बजाबऽ पड़त। इच्छाशक्तिक कमी छै। असंभव किछु नै। रेगिस्तानमे बसल इजरायल आत्मनिर्भर भऽ सकैत अछि तऽ श्रीसंपन्न मिथिला कियेक नहि !
मिथिलेश कुमार झा
कलकत्ता
Mithila me sab mil k rojgar labu band parl karkhana khulbau
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Thanks,
Team Maithil Manch
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