पृथक मिथिला राज्य के लेल जखन दिल्ली सँ दरभंगा तक आवाज उठल छल तहि समय में जे कि आई सँ 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन साँसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव मिथिला राज्य के विरोध मे मिथिलाक विकास लेल आगा बढ़लाह।
बीस साल बाद देखी त मिथिला के विकास जे भेल से त जगजाहिर अछि मुदा हिनक विकास ककरो सँ नुकायल नहि अछि।
दूनू मियाँबीबी निर्दलीय होईत दू टा पार्टी सँ साँसद बनि क्रमश: सुपौल आ मधेपुरा के विश्व के सबसँ विकसित देश में शामिल करौलथि आ आब सुनय छी जे पटना के विकास लेल लालायित छथि। एहि बीस साल में मिथिला सँ कोशी, सीमांचल, अंगिका, बज्जिका आदि अनेको अंग के तोड़बाक षडयंत्र चलय लागल आ आब समग्र मिथिला के कल्पना मुश्किल भेल जा रहल अछि।
एहने विकास के राजनीति मिथिला आजादी के बाद सतत देखि रहल अछि आ सतत गर्त में जा रहल अछि एतय के भाषा, लिपि, सभ्यता आ संस्कृति।
मैथिलजन एखनहु समय अछि, मिथिलाक बचेबाक लेल एकरा सबसँ पहिने बिहारक उपनिवेश सँ अलग कय भारतीय गणतंत्र में पृथक पहचान के बेगर्ता अछि।