राजकमल (मणीन्द्र नारायण चौधरी)(13 दिसम्बर 1929-19 जून 1967)


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श्रद्धेय राजकमल चौधरी (13 दिसम्बर 1929-19 जून 1967) मैथिली- हिंदीक लब्धप्रतिष्ठित कवि-साहित्यकार छथि। आज हिनक पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन आ श्रद्धांजलि अर्पित करैत छी।

फूलबाबू अपन लेखनीकें प्रारंभ अपन मातृभाषा मैथिली सँ केलैथ। बाल्यकालमें लिखल हुनक निम्नांकित पंक्ति (जे अप्रकाशित अछि) देखि हुनक परिपक्वताक झलक भेटैत अछि-

“ चान सन सज्जित धरा पर
कय रहल प्रियतमा अभिनय
बूड़ि भोर मन टुभुकी उठले
अहीं सं हम करब परिणय”

हिनक प्रथम मैथिली किस्सा #अपराजिता १९५४ ई० आ प्रथम मैथिली कविता #वैदेही पत्रिकामें #पटनिया_टट्टूक शीर्षक सँ १९५५ ई० मे प्रकशित भेल छल ।

।। द्रौपदीसँ विरक्ति ।।

आन्हर घरक अन्धकारमे
आब साँप नहि मारब
तोड़ि देब बरू तेल पियाओल लाठी।
थाकल देहक अन्ध-कूपमे
आब झाँप नहि मारब
कतबो ग्राह ग्रसित कएने हो मातल हाथी।
आन्हर घरक अन्धकारमे
अहाँ साँप कटबाउ
अपने देहक पंकिल जंगल पहाड़मे
एसकरि बीन बजाउ।।

हुनक कृतिमें ग्रामीण समाजकें रूढ़िवादी व्यवस्था पर कसगर प्रहार अछि। अपन जीवनकालमें हुनक पहिल मैथिली कवितासंग्रह #स्वरगंधा क’ प्रकाशन १९५८ ई० में भेल आ दोसर कवितासंग्रह #राजकमलक प्रकाशन मोहन भरद्वाज कें संपादनमें हुनक दिवंगत भेला कें २४ वर्षक बाद भेल।

हिनक कविताक विशेषता छल जे ओ अपन मोन सऽ लिखैत छला । हुनक लेखन लयबद्धता आ काव्य नियमक बंधन सऽ परे छला । अपन निजी अनुभव सऽ लिखल हुनक रचना अन्य रचनाकार सऽ हुनका पृथक करैत अछि। उदाहरणार्थ निम्न पंक्ति देखल जा सकैत अछि –

“जागल छी, कती राति बीतल अछि
ज्ञान नै होइए किछुओ
रूसल पिया जकां नहि कर मान-अभिमान
चान हे, आबह, लालटेनक बदला में
दान दैह किछु ज्योति
दुइए पांति लिखबा लेल आब अछि चिठ्ठी
अप्पन रानी के”

फुलबाबू मैथिलीमें १०० कविता, तीन टा उपन्यास, ३७ टा कहानी, तीन टा एकांकी आ चारि टा आलोचनात्मक निबंध लिखला। दुखद बात इ जे हुनक बृहत साहित्यिक लेखनक बेसी भाग हुनक जीवनकालमें अप्रकाशिते रहल।

श्रद्धेय राजकमल चौधरीकें दिवंगत भेला उपरांत बी॰आई॰टी॰ सिन्दरी कें हुनक मित्र हुनक मैथिली किस्साक प्रथम संग्रह #ललकापागक प्रकाशन करोलैन । तत्पश्चात #निर्मोहीबालमहमर आ #एकअनारएकरोगाहक प्रकाशन भेल । १९८० ई में मैथिली अकादमी सं #कृतिराजकमलक प्रकाशन भेल। १९८३ ई में तारानंद वियोगीक संपादनमें #एकटाचम्पाकली, #एकटा_विषधरक प्रकाशन भेल। हुनक किस्सा एकटा चम्पाकली एकटा विषधरमें मिथिलामें व्याप्त बेमेल पुनर्विवाह पर कसगर प्रहार अछि जाहिमें कहल गेल जे आर्थिक दंश पीड़ित मैथिल समाजमें एक टा माय कोन तरहे अपन फुल सनक बेटीकें ओकर पिताकें उम्रक विधुर पुरुष समक्ष विवाहक लेल प्रस्तुत करैत अछि। हुनक रचना कें सूची अधोलिखित अछि।

#मैथिलीमेंप्रकाशित_पोथी

आन्दोलन (उपन्यास)
आदिकथा (उपन्यास)
पाथर फूल (उपन्यास)
ललका पाग (कहानी संग्रह)
एक अनार एक रोगाह (कहानी संग्रह)
निर्मोही बालम हमर (कहानी संग्रह)
एकटा चम्पाकली एकटा विषधर (कहानी संग्रह)
कृति राजकमलक (कहानी संग्रह)
स्वरगंधा (कहानी संग्रह)
कविता राजकमलक (कहानी संग्रह)

#हिंदीमेंप्रकाशित_पुस्तकें

मछली मरी हुई (उपन्यास)
देहगाथा (उपन्यास)
नदी बहती थी (उपन्यास)
शहर था शहर नहीं था (उपन्यास)
अग्निस्नान (उपन्यास)
बीस रानियों के बाइस्कोप (उपन्यास)
एक अनार एक बीमार (उपन्यास)
ताश के पत्तों का शहर (उपन्यास)
सामुद्रिक और अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)
मछलीजाल (कहानी संग्रह)
प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी संग्रह)
कंकावती (कविता संग्रह)
मुक्ति प्रसंग (कविता)
इस अकालबेला में (कविता संग्रह)
विचित्रा (कविता संग्रह)

#बंगलामेंप्रकाशित_पुस्तक

चौरंगी (अनुवादित)

 

 

 

साभार :: अरुण कुमार मिश्र जीक फेसबुक वाल सँ