“मैथिलीमे संघर्ष व बेचैनी उत्पन्न करयवला साहित्यक अभाव अछि” –अशोक झा, अध्यक्ष, मिथिला विकास परिषद

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“मैथिलीमे संघर्ष व बेचैनी उत्पन्न करयवला साहित्यक अभाव अछि”
–अशोक झा, अध्यक्ष, मिथिला विकास परिषद, २४३, रविन्द्र सरणी, कोलकाता – ७०० ००७
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समाजके सामूहिक रूपसँ बदलि देबाक इच्छाकें आधुनिक युगक विशेषता मानैत छी । संगहि समाजकें सामूहिक रूपसँ बदलवाक आकांक्षा व संभावनाकें अप्रासंगिक बनेवाक प्रयास जे चलि रहल अछि ओ भविष्यक लेल शुभ संकेत नञि अछि । सृजनक दुनियामे, बदलवाक हेतु भS रहल सामूहिक पहलकें एक खास समूहक हितक पूर्ति करबाक अलावा आओर अन्य किछु नञि । किछु साहित्यकार सेहो एहि दिशामे साहित्यिक वकालत कS रहल छथि । खास सामूहिक राजनीतिक आवश्यकताक लेल साहित्यिक दिशा तय करबाक लगातार प्रयास चलि रहल अछि ।

समाजमे हमरा लोकनिक पहचान पूर्व प्रदत्त होइत छल । ओहि आधार पर जन्म होइत छल । जन्महिं कालसँ हमरा लोकनिक सामाजिक पहचान निश्चित कS देल जाइत छल । आधुनिक समयमे हमरा लोकनि अपन सामूहिकताक चुनाव स्वयं कS लैत छी । एहि लेल २०वी सदीमे बहुत बेशी संघर्ष कयल गेल । एहि संघर्षक अनुभवसँ मैथिली साहित्यकें बहुत किछु सीखबाक प्रयोजन अछि । २०वी सदीक संबंधमे पोलैण्डक एक कवियित्री “विस्लाव सींबोस्को” अपन एक कविताक माध्यमसँ दुख व्यक्त करैत लिखने छथि जे एहि सदीमे “हमरा लोकनि नीक आओर चरित्रवानकें ताकतवर नहि बना सकलौं ।” थोड़ेक हटिकें एहि तरहक गप्प निरालाजी सेहो लिखने छथि आओर आगाह कयने छलाह जे “अन्याय जिम्हर अछि, शक्ति ओत्तहिं घुरियाति रहैत अछि ।” मुलतः यायावर कवि यात्री-नागार्जुनजीक पश्चात् मैथिली साहित्यक सृजनमे गति, संघर्ष आओर अकुलाहट उत्पन्न करबाक रचना वर्तमानकालक तथाकथित साहित्यकारक कलमसँ नञि लिखा रहल अछि । साहित्यजँ पाठककें सुता देलक तखन साहित्यक महत्व की रहल ?

की ई सत्य नहि जे वर्तमानकालक तथाकथित साहित्यकें अध्ययन कयला पर आम जनमानसकें संघर्ष करबाक आवृतिक जन्म नञि भS रहल अछि । तखन किछु प्राप्त करबाक लिलसाके लेल आम जनमानसमे बेचैनी कोन प्रकारें बढ़त ? साहित्यकारक कलम चलबासँ पूर्वहिं जँ साहित्यकारक मोनमे ई गप्प घुरिया लागत जे ई लिखब तS फलां रूष्ट भS जेताह….. ई लिखब तS पुरस्कार नञि भेटत…. ई लिखब तS गोलबंदीमे फँसि जायब आदि । एहि प्रकारक मानसिकता राखिकS जँ साहित्यिक रचना होयत तखन साहित्यिक रचनामे संघर्ष व बेचैनी उत्पन्न करबाक कलमकें भोथ भS गेनाई स्वाभाविक अछि । वर्तमानकालमे विशेषकS के युवा साहित्यकार ई निश्चित नञिकS पाबि रहल छथि जे ओ किमहर छथि । जा धरि हुनका लोकनिक स्थिति स्पष्ट नञि होयत ताधरि हुनका लोकनिक साहित्यिक यात्रा कोना सफल हेतैन्ह ? वस्तुतः प्रगतिशील चेतनाक सृजनात्मक स्वर देमयवला लेखक आ संगठन कें ठेलि देबाक प्रयास निरंतर चलि आबि रहल अछि । दुखक गप्प ई अछि जे ओहि चक्रव्यूहमे प्रायः सभ तथाकथित युवा साहित्यकार सेहो ओझरायल छथि । वर्तमानकालमे व्याप्त आडंबर, मिथ्या अभियान एवं अज्ञानतासँ जे लेखक, कवि व साहित्यकार लड़बाक मानसिकता रखने छथि हुनका निम्न पाँच प्रकारक मुश्किल पर विजय प्राप्त करबाक चाहियन्हि :

१) सत्य लिखबाक साहस आओर ओहि लेल हुनका विरोधमे ठाढ़ होमयवला तत्वसँ सम्मुखिन हेबाक साहस चाही ।

२) एहि तरहक साहित्यकार लोकनिकें सत्यताक खोज आओर पहचान करबाक उत्साह हेबाक चाही ।

३) एहि तरहक साहित्यकारकें सत्यरूपी अस्त्रक प्रयोग करबाक कौशल हेबाक चाही ।

४) एहि तरहक साहित्यिक सृजनकर्ताकें सत्यके बेशीसँ बेशी प्रभावशाली बनेवाक लेल निर्णय लेबाक क्षमता हेबाक चाहियन्हि । हुनका एहि बातक अनुभव हेबाक चाहिएन्हि जे सत्य किनका हाथमे बेशीसँ बेशी प्रभावशाली रहत ।

५) एहि तरहक साहित्यकारके योग्य आओर ईमानदार लोकक मध्य सत्यकें प्रचार करबाक चतुराई रहबाक चाही ।

एहि गप्पकें मानि लेल जेबाक चाही जे असफलता हमरा लोकनिकें मजबुत बनावैत अछि । हमरा लोकनिकें आशावादी बनल रहबाक चाही मुदा हमर ई व्यक्तिगत अभिमत अछि जे मैथिली साहित्यिक घरमे जाधरि दूगोट केबाड़ रहत ताधरि मैथिली साहित्यमे संघर्ष, बेचैनी उत्पन्न करयवला साहित्यक अभाव रहबे करत ।

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