नूतन वर्ष (कविता)
मैथिली बाजिब मैथिली सुनिब
मिथिले मे रहबैयौं
अइबेर नया साल मे
मिथिला राज बनेबै यौं ?
माइ – बहिन , बाबू – भैंया सब
बाजु मैथिली भाखाबोली
बाऊआ – बूच्ची अहाँ चुप किएछी
बाजू मायक मिठगर बोली
बैजू कका , सुभाष भैया
आब जुनि अहाँ रुसौयौं
मिथिला राज्य बनाकें रहबै
आब तँ अहाँ हँसियौं
संसद भवनो के भीतर
मिथिलाक डंका बजेबे करबै
दिल्ली के दरबारमे
बाबा विद्यापतिक गीत सुनेबै करबै
गोसाउनिक गीत गाईब कें रहबैं
कोई नहिँ रहते खाली बैसल
सभकेँ भेटतै रोजी -रोटी
तै लए मिथिला राज चाही
मिथिलाक अलख जगबियौ
मैथिली बाजिब , मैथिली सुनब
मिथिले म रहबैयौं ।
© लवकुश कुमार