पोथी चर्चा:
भारत भूमि महान
वर्ष 2015 मेँ त्रिवेणी प्रकाशन दरागंज, इलाहाबाद (उ• प्र•) प्रयागसँ सद्यप्रकाशित काव्य पोथी’ भारत भूमि महान ‘ पृष्ट सं• 136 धरि, दाम सवासय टाका ISBN978-81-92-6209-09 कूट गत्तामे छैक। एहि पोथीक रचियता कविवर विद्या कुमार झा जीक जन्म 25 फरवरी 1951 फाल्गुन महाशिवरात्रिके स्व• पं• इन्द्र देव झा आ स्व• महालक्ष्मी देवीक घर भेलनि। स्नातक (प्रतिष्ठा) धरि पढल लिखल कवि मैथिली-हिन्दी आ संस्कृत भाषाक आयुर्वेद एवं कर्मकांडक ज्ञान रखैत छथि। हिनक सम्पर्क पता अछि इन्द्र कुटीर मिर्जापुर, दरभंगा (बिहार); पोथी मूलतः 64 हिन्दी कविता आ एगारह टा मैथिली कविताक संग्रह थीक। एहि पहिल प्रकाशित पोथीमें कविजीक माय बाबूक फोटो लागल समर्पित आ पाँती निवेदित कयल गेल छैक। ल० ना० मि० विश्वविद्यालय दरभंगाक सेवानिवृत्त स्नातकोत्तर हिंदी विभाग डॉ० कविश्वर ठाकुर जीक मनोदगार आ राष्ट्रभाषा हिंदी विकास परिषद दरभंगाक अध्यक्ष कवि हीरालाल सहनी जीक आशीर्वाद सेहो विद्या कुमार झा जीके लिखित में भेटल छैन। कविजीक गतिविधि सृजन आ रुचि तथा वैचारिक सम्यक दिशा देखि भारतीय जनता पार्टी आ अनेक संस्था सेहो सम्मानित केने छैक। मैथिलीक पाठक बंधूके हिनक काव्य लालित्य आ सौष्टव देखि कविताक प्रति सहजे रुझान होयत । तुकबंदि आ सोरठामे कवि स्वयं गछने छैथि ” हमर ई दृढ़तापूर्वक माननाय अछि जे अभिव्यक्ति फल श्रृतिधरि कार्य केर संगोपन होईछ । ” लेखकीय चिंतन समाज सापेक्ष होइत छैक । रचनाकार अपना परिवेशमे जे किछ देखलनि आ भोगलनि ताहिके शब्द दैत सृजन कए एकटा पकठोस काव्य शिल्पी बनलाह आ से साहित्यानुराग हिनका श्री हीरालाल सहनीजीक सानिध्यमे प्रोत्साहन भेटैत रहलैक। हिनक मंचीय कविताके बहुतों पूर्वहि स्वर्गीय सुरेंद्र झा ‘सुमन’ पूर्व सांसद स्वर्गीय शिवनाथ वर्मा (अधिवक्ता) विधायक, श्री शंभू नाथ मिश्र, श्री सुशील चौधरी आदि परेख कए सराहने रहथि। वाणी वंदना शीर्षकमे देखू-:
….. भारती भुवनेश्वरी हंसाशने
बुधीमती माता त्रिलोकयावती ….
महाकवि विद्यापति कवितामे देखु-:
….ई उच्च प्रखर लहरी रस्मीत
धारणी अम्बर दे प्रबल तान…..
नचारीमे गाबै छथि-:
शंकर सदाशिव हर भंग हारी
बसहा सवारी प्रणमामि शंम्भो
कटि बाघाम्बर कर त्रिशूल
उरमे भुजंग शीश चंद्र गंग
हे चंद्रचूर शंकर बिषहारी…..
मंगल कामना सँ लिखल गेल हिनक बहुत रास कविता यथा-: जय मिथले भाषा-भाषी, समीर, वसंतक मास मधुमय, धरोहर नींद सँ मातल, नचारी, गुंज गली में, सुमन शत-शत नमन आ मिथिला कविताक पैघाउत मानकीकरण केर निकटी पर ठोसरुपे तौलल य। सब गोटे एहिके पढ़ि लाभ उठावि सयह अपेक्षाक संग जेनाकि हमरो नीक लागल हन, एहिक दोसरो संस्करण बहराई से मांग पर निर्भर करत।
लालदेव कामत
स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक