मिथिलाक पारंपरिक पावनि कोजगराक विशेष महत्व अछि मिथिला मे/
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अशोक झा, अध्यक्ष मिथिला विकास परिषद ।
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मिथिलाक परंपरा मे आर्थिक संपन्नताक लेल पूर्णिमाक राति मे भरि राति जागल रहवाक विधान अछि।
आश्विन मासक पूर्णिमा दिन मिथिला मे कोजागरा पावनि मनायल जाति अछि। मिथिलाक परंपरा मे आर्थिक संपन्नताक लेल पूर्णिमा दिन राति भरि जागल रहवाक परंपरा के विशेष महत्व अछि ।
नव विवाहित पुरुषक लेल कोजगरा पावनिक विशेष महत्त्व अछि। मानल जाईत अछि जे अगहन (मार्गशीर्ष) स’ आषाढ़ मास धरि जिनकर विवाह भेल रहैत छैन हुनका लोकनि के कोजागरा आश्विन मासक पूर्णिमा के राति मे मनायल जाईत अछि।
कोजागरा पर वधू (कन्या) पक्ष दिस स’ नवविवाहित बड़ सहित परिवारक सब सदस्यक लेल नव वस्त्र के अलावा मिथिलाक पारंपरिक पहचान दही-चूड़ा, केरा मिठाई आर मखान आदि भेजल जाईत अछि । कोजागरा पावनि मे मखान के बेसी महत्त्व होइत अछि। कोजगरा राति बड़ पक्ष अपन क्षमताक अनुसारे अपन समाज आर गांवक लोग के हकार द’ क’ बजावैत छथिन्ह आ आगंतुक समस्त ब्यक्ति के पान, सुपारी और मखान स’ हुनका लोकनिक स्वागत करैत छ्थिन्ह। नवविवाहित बड़ अपन सारक के संग पूर्णिमाक इजोत मे आंगन मे कौरी भाँजि क’ पचीसी खेलवाक परंपरा अछि । आब सामार्थवान लोग भजन आ गीत संगीतक सेहो आयोजन करैत छथि। मिथिला मे कोजागरा पर्वक अवसर पर नवविवाहितकआंगन मे मिथिलाक पारंपरिक अरिपन आंकल जाईत अछि ।
एहन मानल जाईत अछि जे अरिपन बना क’ घर मे लक्ष्मीमाता क आगमन के कामना कायल जाइत अछि। सायंग काल मिथिलाक पारंपरिक लोक गीत गाबि क’ धनक देवी लक्ष्मी के आह्वाहन क’ क’ स्वागत कायल
जाईत अछि
कोजागरा पावनिक महत्त्व
मिथिला मे कोजागरा पावनि के बारे मे मान्यता अछि जे पूर्णिमाक राति मे चंद्रमा स’ जे ओशक अमृत समान बूंद टपकैत अछि ओ मखानाक रूप ल’ लेने छल। मिथिला मे मान्यता अछि जे पान ,माँछ आ मखान स्वर्गो मे नहि भेटैत अछि। अहि द्वारे कोजागरा दिन कम स’ कम मखान आर एक खिल्ली पान खेवाक परंपरा आईयो मिथिला मे व्याप्त अछि आ लोगअहि के आवश्य खाइत छथि।
मिथिला मे कोजागरा पावनि दिन प्रायः सबहक घर मे लक्ष्मी पूजा करवाक परंपरा अछि। आब त’ चाँदी आर सोनाक सिक्का लक्ष्मी मानि क’ सेहो पूजा करैत छथि। पूजन के पश्चात प्रसादक रूप मे पान, मखान आर मिठाई के वितरण कायल जाईत अछि।
मिथिला मे अहि पारंपरिक पावनि कोजागराक राति क’ नवविवाहितक दलान पर आयल सब वर्गक लोगक बीच मखानक वितरण कायल जाईत छैक ।मिथिलाक अहि पारंपरिक पावनि स’ मिथिला मे
धर्मनिरपेक्छताक प्रमाण देखवा मे आवैत अछि।
अहि तरहे सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान बनाबाय मे मिथिलाक अहि पारंपरिक पावनि कोजगराक विशेष महत्व अछि। मानल जाईत अछि जे
मिथिलाक पहचान मखान आर पान स्वर्गो मे नहि भेटैत अछि।