मधुबनी जिलान्तर्गत कोइलख गॉव राजनगर प्रखंड में मधुबनी शहर से १४ कि ०मी ० पूरब मेन रोड पर बसा हुआ है।गॉव के आरम्भ में ही पश्चिम दिशा में भगवती भद्रकाली का भव्य मंदिर अवस्थित है। इसी प्रांगण में भद्रकाली नाट्य परिषद का विशाल रंग मंच है। मंदिर के सामने एक विशाल तालाब है उसके दक्षिण में उच्च विद्यालय ,पूरब में चंद्रानन्द मध्य विद्यालय और सामने एक बड़ा सा मैदान है।
तालाब के उत्तर पक्की सड़क के पास महादेव का विशाल प्राचीन मंदिर है। समूर्ण परिसर सदैव ,सुरमय ,मनोहर एवं पवित्र रहता है। भद्रकाली कोकिलाक्षी जो मंदिर के पश्चिम प्रवाहित कमला नदी से निकली है के नाम पर इस गॉव का नाम कोइलख पड़ा है। पहले इस गॉव को बासुदेवपुर कहा जाता था। खतिहान एवं नक्शा में भी बासुदेवपुर उर्फ़ कोइलख अंकित है।
उमापति उपाध्याय की जन्मस्थली
प्राचीनकाल में यह गॉव संस्कृत विद्या का प्रधान केंद्र था। इसी गॉव में शरयन्त परीक्षा आयोजित की जाती थी। शरयन्त सबसे कठिन परीक्षा माना जाता था। इसमें प्रश्न एवं प्राश्निक की कोई सीमा नहीं रहती थी। यह सत्य है की प्राचीन काल के विद्वानों में उमापति सबसे अधिक विख्यात हुए हैं। उमापति उपाध्याय ने सार्वजनिक कार्य में भी अपनी रूचि दिखलाई। गॉव के उत्तर में उनका ख़ुदवाया हुआ एक विशाल तालाब आज भी विद्यमान है जिसे लोग डिघिया (दीर्घिका ) कहते हैं। ‘कवि पंडित मुख्य’ एवं ‘सुमति ‘उपाधि से विभूषित उमापति की सर्वश्रेष्ठ मैथिली किर्तनिया नाटक है- ‘पारिजा हरण ‘ जिसपर अनेक शोध कार्य हो चुके हैं और अब भी हो रहे हैं।
एक से एक हुए हैं विद्धान :
महाकवि विद्यापति पर पहला अनुसंधान एवं समीक्षा ग्रन्थ (विशुद्ध विद्यापति पद्मावली )हिंदी में लिखने वाले पं० शिवनंदन ठाकुर एवं अंग्रेजी माध्यम से इंट्रेंस पास करने वालेप्रथम व्यक्ति काशी नाथ झा कोइलख के ही थे। मैथिली के सुप्रसिद्ध कथा ‘आम खैवाक मुँह ‘एवं’ भलमानुष पवित्रा उपन्यास के लेखक योगा नन्द झा कोइलख के ही थे। ये अंग्रेजी साहित्य के प्राध्यापक थे। बाद में बिहार प्रशासनिक सेवा में विभिन्न पदों पर रहते हुए मैथिली अकादमी पटना के निदेशक भी हुए।प्रसिद्ध वकील दमन कांत झा हास्य रस के लेखक भी थे। ‘गपास्टक’ नाम से इनकी एक पुस्तक भी प्रकाशित है जो काफी चर्चित हुई।’
धूमकेतु ‘नाम प्रख्यात भोला नाथ झा अर्थशास्त्र के विद्वान थे। उन्होंने मोड़ पर (उपन्यास )’ एवं ‘अंगुरवान ‘कथा जैसी श्रेष्ठ रचनाएँ मैथिली साहित्य को दी। कवि, निबंधकार समीक्षक के रूप में डा ० भीमनाथ झा की लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं। १९९२ में ‘विविधा ‘नामक पुस्तक पर इनको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वे लगभग १० वर्षों तक पटना से प्रकाशित मिथिला मिहिर के संपादक रह चुके हैं। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि कोइलख एक महत्वपूर्ण शिक्षित एवं प्रतिष्ठित गॉव है जहाँ की वर्तमान पीढ़ी को आज भी अपनी पुरखों से ऊर्जा मिल रही है और जहाँ की भूमि में अब भी पांडित्य एवं साहित्य की धारा प्रवाहमान है।
गाँव के प्रमुख लोक (दिवंगत)
गाँव के प्रमुख लोक जे देश-विदेश में अपन आ गामक नाम रौशन कयने कय रहल छथि :
गाँव में रहयवला आ गाम सँ जुड़ल किछु प्रमुख युवाजन
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